पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३०३

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यहूदी २९७ संयुक्तराज्य अमरीका में भी कफ़लिन नामक एक राजनीतिज्ञ कैथलिक पादरी ने, पिछले वर्षों से, यहूदी-विरोधी आन्दोलन छेडा है। शिकागो के बडे पादरी ने इसकी निन्दा की है, किन्तु कफ़लिन अपना काम जारी रखे हुए है। यरूशलमवाद ( जियोनिज्म ) -इस आन्दोलन का उद्देश्य फिलस्तीन में यहूदी राज्य की स्थापना करना है। प्रारम्भ मे कुछ रूसी अगुआओ के बाद, सन् १८६५ मे, यह आन्दोलन बीयना के एक पत्रकार, डा० थियोडोर हेरज़ल ने शुरू किया । सन् १८६७ मे बेसले मे पहली यरूशलमवादी विश्वकाग्रेस हुई, जिसमे फिलस्तीन में यहूदियों के लिये राष्ट्रीय उपनिवेश की स्थापना करने की घोषणा कीगई। हेरज़ल ने तुर्की, ब्रिटेन, जर्मनी आदि राष्ट्रों की सहानुभूति, अपनी उद्देश्य-पूर्ति के लिये, प्राप्त करने की चेष्टा की, किन्त वह व्यर्थ गई । ब्रिटेन ने इसके लिये फिलस्तीन के बजाय यूगांडा प्रदेश देदेना चाहा, किन्तु १९०५ को यहूदी विश्व-कांग्रेस ने ब्रिटेन की इस भेट को अस्वीकार कर दिया और फिलस्तीन की प्राप्ति का आग्रह किया। ( फिलस्तीन मे यरूशलम के पास एक पहाडी है, जिसका अँगरेज़ी नाम “ज़ियोन' है । इस पहाडी से यहूदियो का पौराणिक सम्बन्ध है, इसलिये इनका एक बडा दल फिलस्तीन मे बसने पर ही अधिक ज़ोर देता है)। इसके बाद यहूदी कांग्रेस में दो दल होगये। दूसरे दल का कहना था कि यहूदी राज्य कायम करने के लिये हमे कोई भी प्रदेश मिल जाय । किन्तु यह दल समाप्त होगया और डा० हेरज़ल भी १६.०४ मे मर गया । (जो लोग फ़िलस्तीन मे बसने का आग्रह करते हैं, ‘ज़ियोन’ पहाडी के कारण, अगरेजी मे उन्हे ‘ज़ियोनिस्ट कहा जाता है, जिन्हे हम यहाँ यरूशलमवादी कहकर सम्बोधन कर रहे है । ) यरूशलमवादी बराबर अपनी काग्रेस करते रहे और थोडे-बहुत फिलस्तीन में जाकर बसते भी रहे । जब ब्रिटिश सरकार को पिछले युद्ध मे यहूदियों की सहायता की आवश्यकता पडी तब, सन् १९१७ मे, बालफ़ोर घोषणा कीगई । यहूदियो की इच्छा-पूर्ति को सिद्धान्ततः स्वीकार किया गया, और युद्ध के बाद तो बालफोर घोषणा को राष्ट्र-संध के शासनादेश का एक अंग बना दिया गया, जिसके अधीन बरतानी सरकार को फिलस्तीन पर अधिकार मिल गया । फिर तो ‘ज़ियोनिस्ट' धडाधड़ फिलस्तीन में बसने लगे और उनकी संख्या ४,८०,०००