चुनाव में ४० स्थानों में से २२ स्थान तुकों को मिले। २३ जून १९३९ को
फ्रांस ने यह प्रदेश तुर्की को वापस कर दिया। २९ जून १९३९ को वहाँ से
फ्रांस की सेनाएँ वापस बुला ली गई।
अल्सेस-लारेन——यह प्रदेश फ्रांस की पूर्वी सीमा पर है। इसका क्षेत्रफल ५,६०५ वर्गमील तथा जनसंख्या १९,१५,००० है। राइन नदी इसकी
पूर्वी सीमा पर है। मध्य-युग में यह देश जर्मन-साम्राज्य के अन्तर्गत था। सन्
१५५२ में फ्रांस ने इसके मेट्ज नगर पर आधिपत्य जमा लिया। तीस-वर्षीय
युद्ध में लुई १४वे ने अल्सेस का अधिकांश भाग जीत लिया और सन्
१६४८ की संधि के अनुसार यह भाग फ्रांस में मिला लिया गया। सन्
१६८१ में फ्रांसीसियो ने स्ट्रैसव नामक नगर पर क़ब्ज़ा कर लिया। लारेन
पर पहले हैप्सबर्ग के सम्राट् राज करते थे। सन् १७३५ में यह प्रदेश लुई
१४वे के ससुर को दे दिया गया, और सन् १७६६ मे यह भी फ्रांस मे
मिल गया। फ्रांसीसी शासक स्थानिक जनता के अधिकारों की रक्षा करते
थे। जर्मनी का आधिक्य था, इसलिए जर्मनों के अधिकारों की रक्षा विशेष
रूप से की जाती थी। फ्रांस की राज्य-क्रान्ति ने इस दिशा में भारी परिवर्तन
कर दिया। स्थानिक अधिकारो को उठा दिया गया और शासन-प्रबध फ्रांस
की तरह किया जाने लगा। स्कूलो तथा न्यायालयों में फ्रांसीसी भाषा का
प्रयोग शुरू होगया।
इन प्रदेशों के अधिवासी जर्मन यद्यपि जर्मन भाषा का प्रयोग करते रहे,
तथापि वे फ्रांसीसी नागरिक थे और उनमें से अनेक फ्रांस के राज्य-प्रबध
में उच्च पदो पर नियुक्त हो गए। सन् १८७०—७१ के जर्मन-फ्रांसीसी-युद्ध
के बाद इस प्रदेश पर जर्मनी का आधिपत्य हो गया। सन् १८७१ में इस
प्रदेश की जनता ने जर्मन-साम्राज्य में मिलाये जाने का विरोध किया।
जब स्कूलों में जर्मन भाषा जारी की गई तो, तो इसका भी जनता ने विरोध
किया। जर्मनी ने इस प्रदेश को स्वाधीनता नही दी। बड़े प्रयत्न के बाद
इस प्रदेश की जनता को सन् १९११ में परिमित स्वराज्य दिया गया। यद्यपि
जनता का बहुमत जर्मनों के पक्ष में था, तथापि फ्रांसीसियों के पक्ष में भी
एक दल पैदा होता जा रहा था। जब सन् १९१४ में विश्व-युद्ध आरम्भ