स्वदेशी
बढाने का प्रयत्न किया । दक्षिणा अफ्रीकी संघ की, बरतानी राष्ट्र-समूह के अन्त्रर्गत, स्थापना में बोथा की मदद की । सन १६१० में प्रथम बोथा-सरकार में जनरल स्मट्स अर्थ-सचिव बने । १६१४ के विशव-युध्द में उन्होंने जर्मन पूर्वी अफ्रीका में ऑग्रेज़ी सेना का सचालन किया । १६१७ में साम्राज्य-युध्द-मत्रि-मण्डल में उन्हे स्थान मिला तथा विजय तक लडाई में सलग्न रहे और वर्साई की सुलह के समय शान्ति-सन्धि परिषद में उन्होने भाग लिया । इसके बाद वह दक्षिणा अफ्रीकी सघ-सरकार के प्रधान-मंत्री बनाये गये । साम्राज्य की समर्थक 'साउथ अफ्रीकन् नरम राष्ट्रवादी पाटी' के वह नेता बने। सन १६२४ में जनरल हर्टज़ोग के 'क्रान्तिवादी राष्ट्रीय दल' ने जनरल स्मट्स की सरकार 'को उखाड दिया, किन्तु १६१४ में, दोनो दलो में मेल होगया ; फल-स्वरूप 'संयुक्त दक्षिणा अफ्रीकी राष्ट्रीय दल' की स्थापना हुई । तब से वह उप प्रधान-मंत्री रहे और जनरल हर्टज़ोग प्रधान-मंत्री । वर्तमान युध्द छिडने पर हर्टजोग अफ्रीकी सघ सरकार को निरपेक्ष रखने के पक्ष में थे , और स्मट्स युध्द में ब्रिटेन को सहायता देने के पक्ष में । जब पार्लमेट में इस प्रशन पर राय ली गई तो जनरल स्मट्स के पक्ष में ५० मत मिले, हर्टजोग को ६७, अतः हर्टज़ोग ने प्रधान-मंत्रिपद से त्यागपत्र दे दिया और स्मट्स प्रधान-मंत्री बने । उन्होने मंत्रि-मण्डल बनाया जो युध्द मत्रिमण्डल कहलाता है । तब से वह युध्द में ब्रिटेन की सहयता कर रहे हैं । मई १६४१ में जनरल स्मट्स को ब्रिटिश सेना में फील्डमार्शल (सर्वोच्च सेनापति) का पद दिया गया है ।
स्वदेशी-प्रत्यागमन - किसी देश के प्रवासी-जनो को उनके मातृदेश में वापस भेजे जाने की व्यवस्था ।
स्वदेशी - भारत की बनी वस्तुओ का व्यव्हार । सन १६०५ के आन्दो-लन में इस शब्द का यही तात्पर्य था । किन्तु वास्तव में स्वदेशी वस्तु वह है जो अपने देश के ही कच्चे माल द्वारा अपने देश में तैयार कीगई हो और जिसके बनाने की मज़दूरी और मुनाफा भारतीयो को ही मिले तथा जिसके बनाने में कोई भी विदेशी सामान न लगाया गया हो । जब महात्मा गाँधी ने खादी तथा ग्रामोद्योग आन्दोलन चलाये तो उन्होने स्वदेशी की परिभाषा और भी विस्तृत करदी । उनके मतानुसार वही वस्तु स्वदेशी और ग्राह्य है जो हाथ से