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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४३१

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हिटलर
 

ऐसी वर्ण-संकर पतित जाति बना देना चाहते हैं जो सहज ही उनके प्राधिपत्य के आगे नतमस्तक होजाय । फ्रास इन यहूदियो का गढ़ है, जो पूर्णतया यहूदी पंजीपतियो के नियन्त्रण मे है । फ्रान्स में हशी ( नीग्रो) प्रवासियो की सख्या निरन्तर बढ रही है, और फ्रान्स, इन हशियो द्वारा, वर्ण-मंकरता का शिकार होरहा है। यह सब यहूदियो की ही करतूत है, और यही यहूदी, योरप की शेष श्वेत जातियो को वर्ण-संकर बनाने के लिए, काङ्गो से राइन तक, सफेद-काली वर्ण-सकर जाति का साम्राज्य स्थापित करना चाहते हैं। जर्मनी ही वस्तुतः समस्त ससार मे अार्य शक्ति है, यहूदी इसी कारण उससे द्वष मानते है । ग्रायत्त्व के स्तम्भ जर्मनी का नाश करने के लिए ही यहूदियों ने पिछला युद्ध कराया । जर्मनी का नामोनिशान मिटा देने के लिए वह फ्रास को उत्तेजित करते और साथ ही बोल्शेविज्म के छद्मवेश में दूसरी ओर से भी वे आक्रमण करते हैं । बोलशेविड्म के पीछे यहूदियो की शक्ति ही काम कर रही है । बोलशेविज्म, साधारणतया मार्क्सवादी समाजवाद, यहूदियो की ही चाल है, जिसके द्वारा वह संसार पर अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहते हे । कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट, डेमोक्रेट, फ्रीमैसन यहदी-बोलशेवीवाद की सिद्धि के लिए ही सब देशो मे काम कर रहे हैं। हिटलर समझता है कि इस खतरे से जर्मनी, और साधारणतया समस्त प्राय जाति, की रक्षा का भार उसे सौपा गया है। ___ अपनी योजना द्वारा, राष्ट्रीय समाजवादी नेतृत्व मे, हिटलर एक सशक्त राष्ट्रवादी राज्य स्थापित करना चाहता है । यह राज्य अन्य सब दलो को मिटा देगा, यहूदियो से मोर्चा लेगा और जातीय विकास के लिये पूर्ण उद्योग करेगा । राष्ट्रीय-समाजवादी जर्मनी शस्त्रीकरण करेगा और वर्साई की संधि को व्यर्थ कर देगा। समस्त जर्मन-भापा-भाषियो को राइव के अन्तर्गत सगठित होना चाहिए । इतना ही नही, हिटलर के अनुसार, जर्मनी को अपनी वैदेशिक नीति में कार्यशील होना पडेगा। युद्ध ( विगत ) से पूर्व जर्मनी ने अपनी नौशक्ति और उपनिवेशो के विस्तार पर बल दिया, किन्तु इससे बरतानिया अनिवार्यतः उसका शत्रु होगया। यह भूल दुबारा हरगिज नहीं दुहराई जानी चाहिए। वास्तव मे जर्मनी तो योरपियन महाद्वीप मे, जहाँ