कमाल अता तुर्क--आधुनिक तुर्किस्तान के निर्माता, तुर्क जनरल तथा राजनीतिज्ञ और तुर्की प्रजातत्र के प्रथम राष्ट्रपति। सन् १९८१ में जन्म हुआ। तरुण तुर्क क्रान्तिकारी दल में शामिल होगये। सन् १९१५ में दरेदानियाल (Dardanelles) की रक्षा की और जनरल कमाल पाशा बन गये। मई १९१९ में कमाल पाशा अनातूलिया भेजे गये जिसमें वहाँ नि.शस्त्रीकरण किया जा सके। उन्होने कुस्तुन्तुनिया-सरकार की अवज्ञा करके राष्ट्रीय आन्दोलन और सेना का संगठन किया। राष्ट्रीय-परिषद् आमंत्रित की तथा उन यूनानियो के विरुद्ध युद्ध किया जो एशिया माइनर में प्रवेश कर रहे थे। कुस्तुन्तुनिया-सरकार ने मुस्तफा कमाल पाशा को विद्रोही घोषित कर दिया। अगोरा में राष्ट्रवादी पार्लमेट के सदस्य, राष्ट्रीय परिषद् के रूप में, सम्मिलित हुए और कमाल पाशा को अपना राष्ट्रपति चुन लिया तथा कुस्तुन्तुनिया से सम्बन्ध-विच्छेद कर दिया। १९२१ में मुस्तफा कमाल पाशा तुर्क के प्रधान सेनापति बनाये गये। उन्होंने सकारिया के २२ दिन के युद्ध को जीता। राष्ट्रीय परिषद् ने इस पर आपको गाजी (विजयी) की उपाधि से विभूषित किया। कमाल पाशा ने २९ अक्टूबर १९२३ को सुलतान और ख़िलाफत का खात्मा कर दिया और तुर्किस्तान को प्रजातंत्र घोषित कर दिया। प्रथम प्रजातंत्र के प्रथम राष्ट्रपति बनाये गये और अधिनायक (Dictator) के सम्पूर्ण अधिकार उन्हें दे दिये गये। १९३१ और १९३५ में भी वही राष्ट्रपति चुने गये। कमाल पाशा ने जो सुधार तुर्किस्तान में किये, उनमें से निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं--राज्य-शासन और धर्म का पृथक्करण, बहुविवाह-निषेध, पर्दा तथा बुर्का-निवारण, फैज कैप (लाल तुर्की टोपी) का परित्याग, यूरोपीय पोशाक का प्रसार, यूरोपियन रीति-रिवाजो और आधुनिक खेलों का प्रचार, अरबी की जगह लेटिन लिपि का प्रचार। धार्मिक-क्षति की दुहाई देनेवाले मौलवी-मुल्लाओ, उनके अविनायक-तंत्र के विरुद्ध षड्यंत्र रचनेवालो और साम्यवादियो का उन्होने दृढता से दमन किया। राष्ट्र-निर्माण में रोडा अटकानेवालो को बड़ी तादाद में मौत के घाट उतार दिया
जनतंत्रवाद के प्रतिकूल होने से अपने नाम के साथ की पाशा उपाधि छोड़ दी। १९३४ मे अरबी शब्द मुस्तफा-भी अपने नाम में से निकाल