पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/१२५

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॥१० ॥ निकटि कृष्ण बलि दई दिखाई। देषि रूप समभयो तब राई॥ होला। अति सोभा परताप बउ स्याम गोर अभिराम। पीतांबर पट वोडिक निजु जन पूरन काम ॥ चोपई। अति प्रबल असुरन को गई। देषत तब बोले सिर नाई॥ नीलांबर पट वो जाई। कृष्ण देव ने अति छबि छाई॥ बालक कोंन काज से बांधे। प्रानि चुण्य कहां ते सांधे। राजा जो अधमाई करे। जग अपजस पुनि नीकें परे॥ ऐसे काम किये अराधी। राजा होय अबिया साधी॥ दोला। नागफांस सों बांधियो कोमल राजकुमार। तुम सर पापी के नही जग कठोर लत्यार॥ चौपई। सुनो बचन कृष्ण परवीना। को बाक लरि लियो अचीना॥ बडो ठीठ यह चोर अन्याई। पैठा निस हि महल मे जाई॥ नागफांस मे बांधे घ्याई। वा बालक की कहा चलावो। जीव आपने जान न पावो॥ ऐसा को है पानि छुरावे। ............. बरषन लागे बान अपारा। मानो मेष पर असरारा॥ जादों पति छोड़ें बान अनंता। बान बान मिलि गये तुरंता ॥ उडि पुरषेल अकासें गई। दिन तें राति पलक में भई॥ .