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पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/२२

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सिवाय धर्म के और किसी पर नहीं क्योंकि धर्म से संसार में श्रादमी. राज पाता है और धर्म से सब काम सिद्ध होते हैं और धर्म से जग में यश होता है और धर्म करने से देखो कि राजा बलि ने पाताल का राज पाया. और धर्म से राजा इंद्र ने स्वर्ग में जा इंद्रासन पाया और धर्म से यह काया अमर हो जाती है गर्भ बास छुट जाता है इस से तुम मेरा धर्म मत डुलानो ओर में भी अपना सत न छोडूंगा इस में जो हो सो हो। इसी तरह चारों ने चार मति की बातें कहीं एक की एक ने न मानी। तब वह बालान फिरकर राजा के निकट अाया और आकर सब अहवाल सुनाया कहा कि महाराज । में घर तो गया पर बात कुछ बन न आई अपनी अपनी सब कोई कहता है और हम चारों की चार मति हैं और आप ने यहां खड़े होकर हमारे लिये दुख पाया पर हमारा मता बन न पाया। यह सुन राजा ने कहा कि महागज। तुम अपने चित में निरास होकर उदास न हो चारों लाल तुम अपने घर ले जायो में तुम्हें देता हूं क्योंकि जिस में तुम्हास कुटुंब भी प्रसन्न हो और तुम भी हमारा इसी में कल्यान है। निदान राजा ने चारों लअल खुश होके ब्रासन के हाथ दिये ब्राहमान लेकर असीस दे अपने धाम को गया। राजा बीर बिक्रमा जीत भी अपने मन्रि को पाया और देते दान कुछ बिलंब न लाया।