पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/२३

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राजनीति। श्री गंगा जू के तीर एक पटना नाम नगर । तहां महाजान पुन्यवान सुदरसन नाम राजा हो । वा पंडित तें वे लोक सुनें ता को अर्थ यह है कि अनं के संदहनि को टूरि करे अरु गूढ अर्थनि को प्रक श्रांति शास्त्र हे जालि शास्त्र रूपी नेत्र नाहीं सो छ नापन धन प्रभुता अबिबेकता ये चारों एक एक : हारी में अरु जहां ये चारों लोय तहां न जानिये कह राजा आपने पुत्रनि की मूर्खता देखि चिंता करिब ऐसे पुत्र भये कोन काम के । जे विद्या करि हीन : ते पुत्र ऐसें जेसें कानी अखि देखिवे को तो नाहीं तो पीर करे। कल्यो है। पुत्र ताही को कलिये जा की मर्याद लोय। अरु या तो संसार में मरके को ना सजन अरु विद्यवान जो पुत्र बंस में लोतु है सो पुर चंद्रमा तें आकाश शोभा पावतु के तैसें वा पुत्र सों व गुनीन की गिनती में लिखनी ते नाहीं लिख्यो गयो को बबांझ कहतु हैं। अरु दान तप सूरता विद्या ३ को जस नाहीं भयो तिन की माताओं में केवल ज