पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/२८

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॥२॥ चल्यो। तब राजा में अापने मन में बिचाखो कि मोहि ऐसी न . बूझिये जु या अंधेरी रेल माहिं रजपूत को एक लो पठाउं ताते या के पाछे पाछे जाय देखों तो सही यह कहा करतु है। या प्रकार राजा मन में बिचारि कार तखार गहि वा के पाछे ले लियो। आगे जाय बीबर देखो तो एक नारी नवजोबना अति रूपवती सब अाभरन पहरे ठाही धाय मारि मारि रोवति है। इन वा सों पूछी तू को है। उनि कही हों राज लक्ष्मी हों। पुनि इन कन्यो तू रोवति काहे। उनि कही मैं बलुत दिन या राजा की भुजानि की छांह में विश्राम कियो अरु अब या राजा को छांडि जाउंगी या दुख तें रोवति हों। इन कही तू काढू भांति तू रहै। उनि कही जो तू निज पूत को बल देह तो हों रहों अरु यह राजा अनेक दिन अखंउ राज करे। पुनि बीबर कही माता जोलों में अापने घर ले आउं तोलों तुम यहां रहो। ऐसें कहि घर जाय बीबर पुत्र श्री स्त्री को जगाय लक्ष्मी के कहे बचन कहिवे लाग्यो तो पुत्री लू जागी। यह बात सुनि सब चुप रहे। तद पुत्र बोल्यो धन्य भाग मेरो जु यह देह देवी के निमित्त लागै अरु स्वामी को काज सरे या में पिता जू बिलंब जिन करी क्योंकि कबढू तौ या काया को बिनास होय तातें काढू के काज लागे सो तो भलो ही है। कयौ है। विद्या धन प्रान पराक्रम जा को परायें काम आवे ताही को संसार में जन्म लैनों सुफल है। पुनि बीरबर की पत्नी बोली जो तुम यह कार्य न करोगे तो राजा के ऋन तें केसं उतरन होउगे। ऐसें बतण्य सब देवी के मंदिर पे गये अरु पूजा करि हाथ जोरि इतनों कन्यो माता हमारे राजा चिरंजीव होय राज करे। यह कहि पुत्र