पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/३१

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हितोपदेस। काग म्रिग अरु स्याल। मगधदेस मै चंपाबति माम बनु रहे। ताहां बलुत है । करि एक म्रिग अरु काग दोउ बसे हि। सु हिरण व दिन सपुष्टदेही स्याल हि देष्यो। देषिकरि स्याल बि: या हिरण को मांस कोंन उपाव करि पाऊं। तब स्य। जु हुँया सों प्रीति उपराजों। प्रीति उपाई करि या व ईह बिचार करि स्याल प्रग के निकटि जाई करि बोल्यं । हे तुम्हें को। निग कहि तुम कौन हो ईह कहिंतु ही हे स्याल लों। ईह बन मै म्यंत्र करि बंध करि हीन वस्त हि म्यंत्र पाई करि जीयो हों। अब तुम्हारे साथि स तब इह दोऊ संध्या भये प्रग को जहां बास थल थो त! चंपा के रुष परि सबुधि नाम काग रहे। प्रग को मिंग। म्यंत्र हिरन यो दुसरो कोनु। तब प्रग कहि यो स्याल करन कुं आयो है। तब काग कहितु हे म्यंत्र सुन तत्काल परदेसी सों मैत्रि न करिये । म्यंत्र हिरण जा जाणिये अरु जा को सील न जाणिये ता कों बास ।