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पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/४५

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- ॥२८॥ चुपके स्यो। तब कागु स्यं को मनु जानि कपर स्यंधु पासि गये। कागु राजा सों कहि। राजा अहार व हे मोलि मारि षाकु राजा तुम्न बहोत दिन के भूषे । राजा न होई तो प्रजा केसे ठुन जीवे जैसे जे प्रावदान सो बैदि जिवाई न सके। और सब प्रजा को मुल राज मुल स्ले तो आगे पत्र फल फूल सब कुंहि। तब स्यंर सुभलो परु ऐसो कर्म भलो नांहि जानित को म कु कागु सो बचन कच्यो। स्यंषु पुनि वाहि उहिउ चित्रकरन राजा सों कलि। राजा मेरो सरीर षाई करि । राषछ। ईळु कलित ही बाघ चित्रकर्न को पेट फा मिलि बांटि षायो। ताते हुँ करितू हों दुष्ट के बचा को बुधि चले। तब तीसरे ठगि कलि। रे बांभन कुकरा परि लीये जातु है। तब बांभन वा के कहे बकरा ! सनान करि घरि गयो। उन्ह तीनो ठगनि मिलि बद। ताते ढुं करितू हों जो आपनि उपमा करि और दुष्ट सो उस्कावे॥