पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/७३

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॥५ ॥ योजये। करे उपाय पात पला भूमि गयो पाव स्ले इतनी लीजिये। लैके कहां धरे सरवर लू न करे भरि लियें मति अति भीजिये। कियो रूप ब्रालण को भयो लिये रंग ब्रत परचे को लीजिये । भई एकादशी भूषो अाजु तो नरेलु भोर चाल जेतो लीजिये। का योउ ता को सोर पखो समजावे नामदेव या कों का बीते जाम चारि मरि रहे यों पसारि पाव भाव पै: नही लीजिये। रचिकै चिता को बिप्र गोद में ले मुसिकाय मे परिक्षा लीनी तेरी है। देषी सो सचाई मेरे भये अंत्रध्यान परे पाय प्रीति ली है। जागरन । को प्यास लगी गये लेन जल प्रेत पानि कीनि पे निकासि ताल गायो पद ततकाल बरेई कपाल रूप