पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/९४

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. ॥७॥ थोरो छोरो धार जु भरियो। ले अबूत हरि थाने पस्तिो॥ पहिले राम हि भोग लगावों। ता पीछे में झूठनि पावों ॥ सुनत बात सब के मन मानी। श्री हरि गति काढू नहि जानी॥ इतनी कहि पीपा तहां जाई। देखि रसोई सोंज मंगाई। तनक तनक भरि पानी धारी। और सोंज सब राखी न्यारी॥ जितनी पाक रहो घर माहीं। दियो अछूतो जान्यो नाहीं । बेदी माझ भोग करि लायो। संखोदक चहुं दिसि छिरकायो॥ सबन्ह सहित प्रभु भोजन पायो। पटुम अठारह जूथप खायो। पीछे बालान कियो अहारा। सजन कुटुंब मगन परिवार । भूखे जन कलं भोजन दीन्हो। तब देवी को सुमिरन कीन्हो ॥ निसा भई सोए नर नारी। सपने माता दोन्ही गारी॥ अर्थ राति उपर चठि बाई। भूखी भूखी कलि बिलखाई॥ मेरे लेत कियो तें जागू। पीपा स्वामी लियो सोहागू॥ जब तें भोग लावो भरि धारी। मख तें तब मोहि कियो जुन्यारी॥ लागे वानर कोटि पचासा । देखन देहि न नेकुं तमासा ॥ भली भई परमेश्वर पायो। तू जनि जाने माता स्वायो॥ हरि सों बल करि सके न कोई। ल को सोत न रही रसोई॥ इतना कहि देवी चलि जाई। बालान जाग्यो मन पहिताई ॥ तब गवन्यो पीपा के पासा। कहा जो देवी सकल प्रकासा॥ पीपा कहा जु तुम कह देखा। बोला सो कपिरी छस पेखा। झूठी देवी बेगि निकारो। राम भक्त के कारज सारो॥ घर देवी सरवर तट राखी। पीपा पद परि बिनती भाषी॥