पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/९९

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स्वर्ग रोक्षण। __ कलि जुग वर्णन। . श्री कृष्ण उवाच। कहे कृष्ण सुन पंरों गई। कलि मे प्रथी परंगी भाई। कलि मे सत छाडेगा लोगा। तिन्हे बलुत व्यापेगा सो सत जुग त्रेता द्वापर भनिये। येक बार वे ऐसा लुमिये । जो निपजे तो बीसे राई। हाहाकार करि मरे लुगाई ॥ सुनो जुधिष्टर कलिं व्योहार। जैसी गति धाले संसारा सत्त न सील तहां प्राचारू। ऐसें होय प्रथी व्योहारू । बार बार हों बिनउं सेवा। पुरुष हिं नारिन गिनिहे है। पुत्र न कल्या पिता का माने। मन भावे सोई चित। और सुनो इहिं कलि का जुगता। पिता सु पहले मस्ति अंत न जिवे सावका कोई। सेत केस वाळू के लोई ॥ येक माय के जनमे पूता। ते कलि जुग मे होय अनुग कलि मे न्याव देषि मुह लोई। झूठी सापि भरे सब को कलि मै अलप बरषले मेहा। लाली भोजे आधी देहा॥