पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२३३

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हुआ,वस इसीके 'श्रनन्त' के आधार पर हुआ था। इसका मत है कि पृथ्वी गोल है। जगत की रचना तथा प्रारगीमात्रकी उत्पत्तिके विषय मेँ इसने बहुत कुल्ल अनुमान किया है। उसका कथन है कि पहले तारे, फिरपृथ्वी तदनन्तर इसी क्रम से समुद्र तथा जीव ,एकके पश्वात् एक उत्त्पन्न हुआ। जीवमात्रमेँ सबसे प्रथम मछली (जलचर), उसके पश्चात् सूइस, कछुआ इत्यादि उत्पन्न हुआ। अंत मेँ मनुष्य की रचना हुई। अनकिज़मंएडर के मतानुसार जो जीवोत्पत्तिका वरर्गन उसमे तथा विष्णु भगवान के मत्स्य ,कृमोदि दस अवतारो के वरर्गनमे साम्य देख पडता है। यह एक ध्यान मे रखने योन्य विशेष बात है। अनंगपाल-यह लाहोर के राजा था। मुह-म्मद गजनवीने अनेक बार इसका पराभव किया था जिस समय मोहम्मद ने हिंदुस्तान पर चडाई की (२००२ ई०) उस समय इसके पिता जयपालने उसका सामना किया था। परंतु इस लडाई मेँ जयपाल हार गए ओर बहुत सा धन देकर अपने को छुडाया। इस हार से जयपाल इतना शरमाया कि उसने अग्रिकाष्ट भदरग करके आरम्म किया । उसके पुत्र आनंदपाल मोहब्बत से कुछ कुछ दिन तक तो मित्रता रक्खी और नियत समय पर सलाना कर भेज दिया करते थे। परंतु कुछ काल के बाद मोहब्बत के भेजे हुए मुलतान के सूबेदार अब्दुल फतह लोदीको अपनी ओर मिलाकर वह स्वतंत्रता से रहने लगा। तब मोहम्मद ने २००५ ई० मे पंजाब पर चढ़ाई की और आनंगपाल को कश्मीर की ओर खदेड दिया। परंतु मुहम्मद के चले जाने पर उज्जैन,ग्वालियर,कन्नोज,डेल्ही अजमेर इत्यादि गे राजा का एक संघ स्थापित कर आनंदपाल ने मोहम्मद गजनवी का सामना करने की तैयारी की। पेशावर के मैदान मेँ ४० दिन तक दोनो ओर की सेनाएँ केवल एक दूसरे की ओर देखते हुए तटस्थ खडी रही। परंतु शीघ्र ही प्रत्यद युद्ध आरंभ होगया। बहुत दिनोँ तक हिन्दुओ ने मुसलमानोँ को बॉडी वीरता से सामना किया,परंतु दुर्भाग्यवश विजय मुसलमानोँ की ओर ही गई रही,क्यूंकि आनंद पालकी हाथी को एक तीर लगा जिससे वह धबडाकर मैदान से भाग निकला। यह देख कर हिंदू सेना हतो-त्साही होकर तितिर वितर हो गयी। इस प्रकार मोहम्मद की विजय हुई,ओर हिंदू राजाओं का पतन आरंभ हो गया। सन् १०२१-२३ ई० में मोहम्मद ने लाहोर प्रान्त भी अपने हस्तगत कर लिया। अनंगपाल के मृत्यु का ठीक ठीक पता नहीँ लगता हे। एक जगह एसा उल्लेख हे कि वह १०२३ के लगभग मरा। कुछ इतिहासकारोँ के मत हे कि जिस समय मोहम्मद ने लाहोर पर कब्जा किया उस समय तक जीवित था। कई स्थानो पर आनंगपाल का 'आनंन्दपाल' नाम से भी उल्लेख किया गया हे। कुछ का अनुमान हे कि दूसरा नाम ठीक होगा। जयपाल,आनंदपाल तथा त्रिलोचन पाल राजा क्रम से काबुल के बहुमनि राजघराने में (==०-१०२१) हो गए हैँ। इस राज्य की स्थापना ल्लो द्वारा की गई थी। १०२१ ई० में मोहम्मद ने यह वंश समूल नष्ट कर डाला। इन राजाओ का काल तथा नाम इत्यदि उपरोक्त जयपाल आनंदपाल इत्यदि के के समान ही हे( मध्ययुगीय भारत भाग २,रा.प्र. १ वाँ)। इससे यह स्पस्ट हे कि आनंगपाल अथवा आनंदपाल काबुल के बहमनी वंशका ही होगा।