पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/८१

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ञ्प्रग्रहरी न्यानकोश् (प्र) ७१ ञ्प्रग्रोर हुई धर्मशालाए पातशालाए ञ्पोर देवालय ञप्रतिरिक ञप्रो भि ञएक प्रछीन स्मरक ञ्प्रादि हे। [ भारतेन्दु हरिश्रन्द्रक्रत ञ्प्रग्रवालोक हे परतु कोइ भि विशश महत्व्का नहिन इतिहास तथा ञग्रवाल इथिहास बि०एल०जेन क्र्त] हे। इस शरहर्कि से एक सदक निकल ञ्प्रग्रहरी - जबल्पुर जिले व राज्गद राज्यमे कर जथ हे। इस शहर के पन्धिमे ग्रिक रह्ने वाले बनियोकि एक उपजानति। इन्का लोगोन ञ्प्रो श्राहर्के बहर द्किस्वन ञप्रगरेकि तरफभि सम्ब्न्ध हे। रोम्नोकए कव्रिस्तान हे। व्योमलतिजके स्म्युक्त्प्रान्त्मे इन्कि जनस्न्ख्या ञ्प्रधिक हे। समीप एक पुराने गावके चिन्ह पाये गये हे। सन १६११ की जनस्न्क्या ञ्प्रधिक हे। ञप्रोगोर- हजारो जिलेकी मान्शोर तहसेलके उन्मेसे ७७२५९ तो स्न्युक्त्प्रनत्मो हि थे। इन वय्व दिशमे यह एक घति हे। उ० ञप्र०३४२६ लोगोन्से ७६१७४ सनतनी हिन्दि १८० सिक्ख, ञ्प्रोर से ३४३६ ञप्रो पु० रे० ७२५ से ७पु६ तक हे।

पु जैन हे।                                यह दस मील लम्बि ञप्रो छ मील छोव्दि हे। 
ञ्ह्प्रग्रिजेन्त्म ( ञप्राधुनिक गिर्जेति -सिसली      इस मे चारो ञप्रो छोरति छोति भोप्दियो और    

के ददीरग किनारेक एक शाहर। यह समुद्र कुतिय बनि हुइ हे। यहा कि फसल प्रचमछि ततसे दैई मील दुर हे। गेल दल चालोने होति हे। इसके छरो और पर्वथ हे जिन पर् यह शर्हर ५२ ई०पु० मे बसाया था। पिल्हारी सनोगर (pine tree) के व्रुक्श बहुत हे। (phalari) (५७०५५४ ई०पु००) ञप्रोर थेरान जमीन चोव्रसि नही हे बल्कि ज्यादातर दलु (theran) (४५५-६३ ई-पु०)इन दोनो एक्तन्त्रि और उनचि निचि हे। पनि पार्यप्थ होनेसे सुख (the tyrants) राजाञप्रोने ञप्ने ञप्प्ने राज्य प्देनेक भै कमि नहि होता। बस्ति यहा कथ काल्मे इसे नए कर दल। इन दोनोके बाद गुजर जति कि ञ्प्र्दिक हे। जनसन्क्य लग्बग ञ्प्रा सिदेप्रसनो भि इस विनप किया। जब यह १७००० हे और इस्लाम धर्म्के हे। रज्यतङिले मे राजा देश्से निकाल दिय गय तब यहा प्रजात्न्त्र इस्का उल्लेथ्र ञप्रेयुग्रपुरके नम्से किय हे। रज्यकी स्थापना हुई। ३३५ ई०पु०० बश्प्रके उपरान्त तैमुरल्दके समस्यसे लेकर और्तर्हचि सतब्दिक् तेमोलियन (timolcon)ने पिर्से इस बसाया। जप्रर्मम नतक यह प्रान्त कर्लुक घ्यरनेके तुकोके एक्नत्न्त्र( the tyrant) राजा फिन्तियसके रज्य श्रदिन था। किन्तु १७०३ ई० मे जलाला बाबा

काल्मे इस शाहर्को थोसदिसि रसाथ फिर्से प्रप्यक़   (स्यद) ने उसे जीत कर स्वति लोगोन्को दे
हुई थि। १६२ ई०पु० ञप्रोर १२० ई०पु० मे रोमनोने  दिय था। १३४ ई० मे श्रमवके नवाब्मने यह्
ञप्रोर ई०पु०१५० मे कथोजीनिनोने इस नगर्को     घन्ति उन लोगोन से भि जीथ ली। किन्तु
फिर उहजादा दिया। यहा से धन्य कयदा ञप्रोर    सिक्थोकने १४१ ई० मे इसे वेजय कर वन्हज 
गन्धक दुस्रे देशो मे जाता थ। इस नगरोको प्रौर्न्मे  ञप्रतमुरह्म्मद्को दे दी थी और उसिको वहको
ञथेन पहदि पर जुइस=श्रतेविया ञ्प्रोर मन्दिर थे।  मुर्थिया(chief) बना दिया। सर्हिदि भग्क 
जिस चत्तन पर थे मन्दिर हे वह शह्रकि उतरीय  बन्दोबस्थ उस्के सपुर्दे था किन्तु यह व्यवस्ता

उन्छि पहादि पर स्थिथ हे। इसीकि निकत एक भी ञप्र्दिक दिन चल न सकी। सरकारकी दुसरी छतन पर प्रछीन नगर स्थ्थ हे। इन दोनो औरसे एक सेन बेजि गयि और १०६० मे एक छतनोके बिछ्मे एक गुफ हे। इस नगर्के पुर्निथ पोलिचे चोव्कि स्तपित की गयी। किन्तु ख ने नभग्म भहने वली ञग्रोगस नदिके नाम पर हि पहदी जथिको बद्का कर उसेजल्व दिय। तब् इस शह्रका यह नाम पादा। इस नगर्के प्रछीन स्मरक वह पद्चयुत होकर लहोर लय गय, किन्तु

ञ्प्रो मन्दिर दोरिक पधति(doric style)पर बने  १०७० ई० मे वह फिर मुखिया नियथ किय 
हुए हे।हिरेक्लिसका मन्दिर सब्से प्रछीन हे। दुस्रे   गया। उसके पथत उसीकि पुथ्र ञलिगोव्रह 

ग्रोगरि पोप्ने ७६७ ई०मे इसी मन्दिर्मे एक मुख्य मुखिया रहा। किन्तु सर्करिक विरुध घदयन्थ्र मे

 प्रथन मन्दिर स्थपिथ किय था। जुइस्के मन्दिर्मे  समेलैथ होनेसे वह हता दिय गया, और १०६१
ञप्रक्रतिया हे। जुइस ञ्प्रो हिरेकिस के मन्दिर    ई० मे ञप्र्गोर्जेलैइ रेगुमलेश्नेके और्घर पर यह 
म्रकम्प्से गिर गए हे।                    सर्करि रज्य मिल लिय गया।