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हुआ। तो मैंने जल्दबाजी में बोला कि मेरी बहन को संदीप ने उसके दुपट्टे से खींचकर बाजरे में ले गये। उन्होंने बोला कि जो आपको पता हो वो लिखकर दो। मैंने बोला कि मुझे लिखना नहीं आता, आप ही लिख दो। उन्होंने बोला कि आप अन्दर जाकर खुद लिखकर दो। फिर मैंने अन्दर जाकर एक कागज लिया उसपर मैंने जल्दबाजी में जितना मुझे पता था, उतना मैंने लिखा। मेरे द्वारा लिखी गयी तहरीर की मूल प्रति पत्रावली पर कागज संख्या 53/4 के रूप में मौजूद है, जो मेरे लेख में है। इस पर मेरे हस्ताक्षर हैं। मैंने इस पर अपना मोबाइल नम्बर भी लिखा था, जो 9897319621 है। इस तहरीर की सत्य प्रतिलिपि भी पत्रावली पर 173 /5 के रूप में मौजूद है। कम्पलेंट देकर मैं बाहर आया जो पुलिस वाले खड़े थे उनसे बोला कि मेरी बहन की हालत ज्यादा खराब है आप अपनी गाड़ी में ले चलो, उन्होंने कहा कि वहाँ से कैसे लेकर आये हो उसी तरह ले जाओ। फिर उनमें से एक बोला कि मर जायेगी जब लेकर जाओगे। फिर मैंने रोड से ऑटो बुलाकर जिसमें चार-पाँच सवारियाँ बैठी हुई थी वो थाने के अन्दर लाया और मैंने बहन पीड़िता को उसमें लिटा दिया। उसके बाद मेरी बड़ी बहन सुनीता वहाँ पैदल-पैदल आ गयी। फिर मैंने, मम्मी व मेरी बहन सुनीता ने पीड़िता को लिटा दिया। फिर थाने की तरफ से दो पुलिस वाले जिसमें एक लेडिज व एक पुरूष सिपाही को लेकर ऑटो में बैठकर बागला अस्पताल गये। मैं और मेरे पापा बाईक से पीछे-पीछे गये। बागला जिला अस्पताल पहुंचकर पीड़िता बहन को स्ट्रेचर पर लिटाकर अन्दर ले गये। थोडी देर बाद डाक्टर साहब आये और उसे देखा। उसके बाद डाक्टर साहब ने दो बोतल चढ़ाना शुरू कर दिया। बोतल चढ़ाते समय एक घण्टे बाद बहन को दो खून की उल्टियां हुई। उसके बाद डाक्टर साहब ने बोला कि इसकी कन्डीशन ज्यादा खराब है। इसे हम अलीगढ़ मेडिकल में रेफर कर रहे हैं और इसे जल्दी ले जाओ। उस दौरान किसी के द्वारा 108 पर कॉल करने पर एम्बुलेन्स लगभग 01:30 बजे आयी, जिस पर हमने बहन को उसमें लिटाया, मैं और मेरे पापा-मम्मी उसमें बैठ गये और मेरी बहन सुनीता घर को वापस लौट गयी। हम लोग अलीगढ़ मेडिकल के लिये वहाँ से चल दिये। एम्बुलेन्स से अलीगढ़ जाते हुये एम्बुलेन्स के ड्राईवर के फोन से बहन के बारे में अपने भाई संदीप को घटना के बारे बताया। हम लोग करीब 04:30 - 05:00 बजे अलीगढ़ मेडिकल कालेज के इमरजेन्सी में पहुँचे। बहन को अन्दर इमरजेन्सी में ले गये, वहाँ बहुत ज्यादा भीड़ थी। वहाँ हमने बागला अस्पताल की रिफरल सीट दिखाकर पर्चा बनवाया। करीब 07:00-08:00 बजे शाम को डाक्टर साहब