पृष्ठ:Hathras Case judgment.pdf/१३२

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132 रहने वाले हैं। उक्त लोगों की मदद से मेरी बहन पीडिता को गन्दी नीयत से पीडिता के गले में पड़े दुपट्टे से खींचते हुये बाजरा के खेत में दुष्कर्म करने के उद्देश्य से खींच ले गये ।" यह बात गलती से टाईपिंग त्रुटि के कारण आ गयी, मैंने ऐसा नहीं लिखवाया था। टाईप होने के बाद मैंने पढा नहीं था। पी0डब्लू0 – 17 रामा देवी ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि मैंने, पीडिता की चप्पल देखकर अपने हाथ में ले ली और सोचा कि अगर वह घर जाती तो दोनों चप्पल पहनकर जाती। चप्पल जहाँ पड़ी थी वहाँ बाजरा के खेत में गली बन गयी थी। मैं वहाँ गयी तो मैं देखकर घबरा गयी क्योंकि मेरी लडकी वहाँ बेहोश पडी थी, उसकी आँखे खुली हुई तथा लाल थी, उसके सारे कपडे उतरे हुये थे तथा उसके बगल में इधर-उधर पडे हुये थे। पीडिता ने घटना से पूर्व कुर्ता, पैजामा, चुन्नी पहन रखी थी, जो वहाँ खुले पडे हुये थे, उसका अण्डरवियर भी वहीं पडा हुआ था। मैं देखकर घबराकर रोने लगी, रोने की आवाज सुनकर छोटू जो खेत का मालिक है, वहाँ आने लगा तो मैंने उसे आवाज लगाकर रूकने के लिये कहा क्योंकि मैं पीडिता को कपडे पहना रही थी। पीडिता को कपडे पहनाने में लगभग पौन घण्टा लगा क्योंकि वह खड़े नहीं हो पा रही थी, बेहोश पडी थी और उसके गले पर खरोंच के निशान थे तथा मुँह पर खरोंच के निशान थे और उसकी जीभ कटी हुई थी फिर मैं जैसे-तैसे बगल में बांहें लगाकर खींचकर बाहर लायी, उस समय केवल पैर जमीन को छू रहे थे, पीडिता का दुपट्टा उसके गले में लिपटा हुआ था। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि मैंने न तो पीडिता की चीख सुनी, न ही मैंने यह कहा कि मैं आ रही हूँ। यह बात गलत है कि पीडिता चिल्लाई हो और मैंने आवाज दी हो कि मैं आ रही हूँ। मैंने किसी को यह बात नहीं बतायी कि पीडिता चिल्लाई थी तथा मैंने आवाज दी थी कि मैं आ रही हूँ। मैंने, सतेन्द्र को भी यह बात नहीं बतायी। सतेन्द्र ने यह बात अपनी तहरीर में क्यों लिखा दी, मैं इसकी कोई वजह नहीं बता सकती। यह सही है कि मैंने, पीडिता के साथ मारपीट करते या कोई दुष्कर्म करते स्वयं किसी को नहीं देखा। जब मैं, पीडिता के पास पहुंची थी तो पीडिता बेहोश थी, उसके गले से चुन्नी लिपटी हुई थी और सारे कपडे उतरे पड़े थे । यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इस साक्षी ने अपनी मुख्य परीक्षा में एक स्थान पर तो यह कहा है कि पीडिता ने घटना से पूर्व कुर्ता, पैजामा, चुन्नी पहन रखी थी, जो वहाँ खुले पडे हुये थे तथा एक स्थान पर मुख्य परीक्षा में एवं प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि पीडिता का दुपट्टा उसके गले में लिपटा हुआ था। इस साक्षी का अपनी प्रतिपरीक्षा में यह भी