पृष्ठ:Hathras Case judgment.pdf/१५०

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150 साथ दुष्कर्म होने के सम्बन्ध में सर्वप्रथम सूचना मुझे दिनांक 22.09.2020 को डा० तबिश व सूरज ने दी थी। मुझे सबसे पहले पीडिता के साथ दुष्कर्म के सम्बन्ध में सूचना पुलिस अधिकारी / विवेचक ने नहीं दी। दिनांक 21.09.2020 को पीडिता बयान देने की स्थिति में थी । उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण के सम्बन्ध में प्रोफेसर आदर्श कुमार की अध्यक्षता में एक मल्टी इंस्टीट्यूशनल मेडिकल बोर्ड (एम0आई0एम0बी0) चिकित्सा महानिदेशक स्वास्थ्य मन्त्रालय के आदेश दिनांकित 02.11.2020 से गठित हुआ था, जिसमें चेयरमैन डा० आदर्श कुमार के साथ प्रोफेसर अरविन्द कुमार विधि विज्ञान चिकित्सा लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज नई दिल्ली व डा० तेजस्वी एच०टी० एसोसिएट प्रोफेसर विधि विज्ञान चिकित्सा, आर. एम. एल. हास्पीटल नई दिल्ली सदस्य नामित हुये। अभियोजन की ओर से एम0आई0एम0बी0 के चेयरमैन डा० आदर्श कुमार विधि विज्ञान विभाग अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली को पी0डब्लू0 - 33 के रूप में परीक्षित कराया गया है। एम०आई०एम०बी० टीम की रिपोर्ट पत्रावली पर प्रदर्श क-47 से प्रदर्श क–51 के रूप में मौजूद है। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि यह सही है कि मैंने या मेरी टीम ने न तो कभी पीडिता को देखा और न ही उसका मेडिको लीगल किया, न ही पी०एम०आर० किया । मात्र सम्बन्धित प्रपत्रों और सम्बन्धित व्यक्तियों के विचार विमर्श के आधार पर मैंने अपनी राय व्यक्त की । यह भी सही है कि मैंने पूर्व में पीडिता का मेडिको लीगल करने वाले डाक्टर, नर्स, टेक्नीशियन्स एवं मेडिकल स्टॉफ के अलावा पीडिता की माँ तथा सर्वप्रथम घटनास्थल पर पहुंचने वाले विक्रान्त उर्फ छोटू से विचार विमर्श किया। यह सही है कि डा० रमेश बाबू चिकित्साधिकारी बागला जिला चिकित्सालय हाथरस द्वारा पीडिता का मेडिको लीगल नहीं किया गया था एवं मात्र रेफर किया गया था। मैंने, पीडिता की रेफर स्लिप देखी थी, उसमें यह अंकित नहीं है कि पीडिता बोलने की स्थिति में नहीं है। मैंने, सी०बी०आई० द्वारा दिये गये बागला हास्पीटल के तीन विडियोंज देखे थे, उन विडियोंज में पीडिता बोल रही थी। यह सही है कि जे०एन०एम०सी० के रिकार्ड के अनुसार दिनांक 14.09.2020 को पीडिता परीक्षण के समय होश में थी और समय, स्थान व व्यक्ति के बारे में सचेत थी और उसके कान, नाक व मुँह से किसी भी प्रकार का खून का श्राव नहीं था। यह भी सही है कि पीडिता को उसके पिता द्वारा मात्र गला घोंटने की शिकायत पर भर्ती कराया गया था। मैंने अपने अलीगढ़ दौरे के दौरान डा० एम०एफ० हुदा से विचार विमर्श किया था तथा मैंने, पीडिता के सारे मेडिकल पेपर्स भी देखे थे एवं परिशीलन किया था। मैंने, पीडिता का