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152 मिनटों में हो जाती है क्योंकि श्वास नली और गले की धमनियां और शिराओं के ऊपर लगातार दबाव पड़ता है लेकिन इस केस में जो उसकी गर्दन में जबरदस्त झटका लगने से उसकी सर्वाइकल में फैक्चर तत्पश्चात होने वाली विविधताओं से हुई है, जो कि काफी विलम्ब से हुई है। अभियोजन की ओर से मृतका के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डा० गौरव वी. जैन को पी0डब्लू०-22 के रूप में परीक्षित कराया गया है। इस साक्षी ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि ए.एस.आई. शैलेन्द्र लाकडा द्वारा सफदरजंग अस्पताल में पीडिता की मृत्यु के बाद उसके पोस्टमार्टम के अनुरोध के साथ सम्बन्धित दस्तावेज दिये थे। औपचारिक अनुरोध प्राप्त होने के बाद हमारे विभाग के विभागाध्यक्ष ने 03 डाक्टरों की टीम बनायी, जिसमें मैं भी शामिल था, मेरे अलावा डा० आदित्य आनन्द व डा० अलिफ मुजफ्फर सौफी टीम के सदस्य थे। हम तीनों डाक्टरों ने शव के आने पर उसका परीक्षण किया तथा इस सम्बन्ध में पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की और हम सभी ने अपने हस्ताक्षर किये। पोस्टमार्टम रिपोर्ट एवं संलग्न दस्तावेजों पर संयुक्त प्रदर्श क – 33 डाला गया। बाहरी परीक्षण पर हमने पाया कि पीडिता के दॉये कन्धे पर पीछे की तरफ 8x5 सेमी० का Ecchymotic Patch मौजूद था। पीडिता के दॉये कन्धे पर मौजूद extravasation डाक्टर द्वारा गर्दन को स्थिर रखने के लिये लगाये गये सर्वाइकल कॉलर की वजह से सम्भव था। उसकी योनी में महावारी का खून मौजूद था । Hypostasis कमर पर मौजूद थी। मृत्यु उपरान्त अकडन चेहरे, गर्दन एवं भुजाओं पर मौजूद थी । गर्दन के सामने लिगेचर मार्क मौजूद था, जिसके ऊपर भूरे काले रंग का खुरन्ट मौजूद था । यह निशान टेंटुआ के नीचे मौजूद था एवं जबड़े के बॉयी तरफ से दी तरफ तक 15 सेमी0 तक था । खुरन्ट के नीचे सूखे हुये घाव के निशान मौजूद थे, निशान गर्दन के बीच में 07 सेमी0 चौडा था, बॉयी तरफ 05 सेमी0 चौडा था एवं दॉयी तरफ 06 सेमी० चौडा था । गर्दन के पीछे की तरफ कोई निशान मौजूद नहीं था। गर्दन के अन्दर अन्य कोई चोट मौजूद नहीं थी। सी - 6 हड्डी टूटी हुई थी, अन्य कुछ असामान्य नहीं था । मृत्यु का कारण गर्दन की हड्डी में चोट कुन्द आघात / blunt trauma द्वारा एवं उसके पश्चातवर्ती परिणाम (Sequelae) था। गर्दन पर मौजूद लिगेचर का निशान गला घोंटने के प्रयास से हुआ था किन्तु मृत्यु का कारण नहीं था। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि यह सही है कि मृतका की गर्दन के पीछे की ओर कोई भी स्ट्रैगुलेशन का चिन्ह मौजूद नहीं था। हमने परीक्षण के दौरान पाया कि सी-6 की इंजरी सिंगल झटके के इम्पैक्ट से आयी होगी। पीडिता के शरीर पर पाये