पृष्ठ:Hathras Case judgment.pdf/१६६

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166 पत्रावली, अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू के दण्ड के बिन्दु पर सुनवाई हेतु लंचोपरान्त पेश हुई । अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू के विद्वान अधिवक्ता तथा अभियोजन पक्ष को दण्ड के प्रश्न पर सुना। अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया है कि अभियुक्त का यह प्रथम अपराध है। अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और बलात्कार का अपराध अभियुक्त पर साबित नहीं हुआ है। अभियुक्त 20 वर्ष का नवयुवक है तथा लगभग ढाई वर्ष से कारागार में निरूद्ध है। अभियुक्त के भविष्य को ध्यान में रखते हुये, अभियुक्त को कम से कम दण्ड से दण्डित किया जाये । सी0बी0आई0 के विद्वान लोक अभियोजक एवं शिकायतकर्ता के विद्वान अधिवक्तागण द्वारा तर्क दिया गया है कि धारा 3 ( 2 ) (v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अन्तर्गत आजीवन कारावास से कम दण्ड दिये जाने का प्रावधान नहीं है तथा अभियुक्त को अर्थदण्ड से भी दण्डित किया जाना आवश्यक है। अतः अभियुक्त को आजीवन कारावास एवं अधिक से अधिक अर्थदण्ड से दण्डित किया जाये। अभियोजन की ओर से यह भी अनुरोध किया गया है कि अभियुक्त पर अधिरोपित जुर्माने की धनराशि में से पीड़िता के परिजनों को प्रतिकर प्रदान किया जाये। उपरोक्त के आलोक में अभियुक्त को निम्न दण्ड से दण्डित किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। आदेश अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 भाग - 1 सपठित धारा 3 ( 2 ) (v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अन्तर्गत आजीवन कारावास एवं मु० 50,000 /- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है। अर्थदण्ड अदा न करने की दशा में अभियुक्त को दो वर्ष का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगना होगा। अभियुक्त द्वारा कारागार में बिताई गयी अवधि सजा की अवधि में समायोजित की जायेगी। जुर्माने की अधिरोपित धनराशि में से मु० 40,000 /- रूपये की धनराशि पीड़िता / मृतका की मॉ श्रीमती रामा देवी को उसकी पहचान सुनिश्चित करने के उपरान्त प्रदान की जाये।