पृष्ठ:Hathras Case judgment.pdf/६७

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67 कार्यस्थल के लिये गया था। दिनांक 14.09.2020 को रोज की तरह मैं अपने कार्यस्थल पर कार्य कर रहा था, इतने में मेरे भतीजे पुतकन्ना व वरूण साईकिल से मेरी ओर आये और रोते हुये बोले कि पीड़िता को मार दिया । जिस वक्त मुझे सूचना दी गयी थी, घड़ी में कितने बजे थे, मुझे ध्यान नहीं है। इसके तुरन्त बाद मोटरसाईकिल पर सतेन्द्र भी आ गया, बीच में पीड़िता बैठी हुई थी तथा उसे पीछे से मेरी पत्नी ने पकड़ रखा था। सतेन्द्र ने मुझे केवल इतना कहा कि पापा जल्दी थाने आ जाओ और मैं साईकिल से उसके पीछे-पीछे चन्दपा थाने पहुंच गया। जब मैं साईकिल से चन्दपा थाने पहुंचा तो मेरी पुत्री को वहां एक चबूतरे पर लिटा दिया गया था और उसकी गर्दन लुढ़की हुई थी और उसके मुंह से खून निकल रहा था और उसकी आंखें भी लाल थी और उसकी गर्दन पर निशान थे। थाने पर मेरे पुत्र सतेन्द्र ने लिखित शिकायत दी और उस दौरान पुलिस वाले जो मौजूद थे, मेरी पुत्री से पूछताछ कर रहे थे। इसके बाद मैंने पुलिस वालों से अनुरोध किया कि पीड़िता को अस्पताल ले जाने के लिये गाड़ी का इन्तजाम कर दें, तो इस पर किसी ने कहा कि जैसे लाये हो वैसे ले जाओ। इसे मारकर ले जाओगे क्या । इतने में सतेन्द्र ने मोटरसाईकिल से जाकर एक प्राइवेट ऑटो ले आया जिसे पुलिस वालों ने इशारा कर पीड़िता के लेटे वाले स्थान पर बुलवा लिया। इस दौरान मेरी दूसरी पुत्री सुनीता घर से फोन लेकर आ गयी। हमने पीड़िता को उठाकर सवारियों को आगे-पीछे करके बीच वाली सीट में लिटा दिया। मेरी पत्नी रामा देवी, मेरी पुत्री सुनीता, पीड़िता के साथ टैम्पू में बैठकर बागला जिला अस्पताल की ओर गये। मैं सतेन्द्र के साथ मोटरसाईकिल पर बैठकर बागला अस्पताल गया था। थाने से एक महिला पुलिसकर्मी भी पीड़िता के साथ ऑटो में गयी थी तथा एक अन्य पुलिसकर्मी भी ऑटो में साथ गया था जिसके पास पीड़िता के इलाज के लिये पर्चा था । अस्पताल पहुंचने पर स्ट्रेचर मंगवाकर पीड़िता को उस पर लिटाकर इमरजेन्सी वार्ड तक लेकर गये। पीड़िता के अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने उसे अटेण्ड किया तथा दो ग्लूकोज की बोतल लगायी। बोतल लगाने के बाद पीड़िता को दो-तीन उल्टी हुईं। डाक्टरों ने उसकी स्थिति खराब बताते हुये अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज ले जाने का सुझाव दिया जिसे हमने मान लिया। इस दौरान किसी ने 108 नम्बर पर कॉल कर सरकारी एम्बुलेन्स मंगवा ली और हम पुलिस वालों द्वारा दिये गये कुछ कागज व रेफरल लेटर ले गये, जे. एन. एम. सी. के लिये निकल गये। उस वक्त लगभग 02 - 2:30 बजे हुये थे। मौजूद पुलिस कर्मचारियों ने यह कहा कि हमारी ड्यूटी यहां तक की थी, हमें कागज पकड़ाकर वापस