पृष्ठ:HinduDharmaBySwamiVivekananda.djvu/६२

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हिन्दू धर्म
 

आप सदा के लिए भाई का नाता बनाये रख सकते हैं, किस भित्ति पर प्रतिष्ठित होने से वह वाणी, जो अनन्त काल से हमें आशा का संदेश सुनाती आ रही है, उत्तरोत्तर अधिक प्रबल होती रहेगी।मैं यहाँ आया हूँ, आपके सामने कुछ विनाशक कार्यक्रम नहीं, वरन् कुछ रचनात्मक कार्यक्रम रखने के लिए।

समालोचना के दिन अब चले गये और आज तो हम रचनात्मक कार्य करने के लिये उत्सुक हैं। संसार को समय समय पर समालोचना-कठोर समालोचना की भी जरूरत हुआ करती है। पर यह केवल अल्प काल के लिये ही। हमेशा के लिये तो उन्नतिकारी और रचनात्मक कार्य ही उचित होते हैं, निन्दा करना या नष्ट-भ्रष्ट करना नहीं । लगभग पिछले सौ वर्ष से हमारे इस देश में सर्वत्र समालोचना की बाढ़ सी आ गई है, देश के सभी अंधकारावृत्त प्रदेशों पर पाश्चात्य विज्ञान का तीव्र प्रकाश डाला गया है, जिससे कि अन्य स्थानों की अपेक्षा कोने-काने और छिद्र ही अधिक स्पष्ट दिखाई देने लगे हैं। ऐसी अवस्था में यह बिलकुल स्वाभाविक था कि सारे देश भर में ऐसे कई प्रकाण्ड विद्वान पैदा हुए, जो अपने हृदय में सत्य और न्याय के प्रति अनुराग होने के कारण महान् और तेजस्वी थे । उनके अन्तःकरण में अपने देश के लिये,और सबसे बढ़कर ईश्वर तथा अपने धर्म के लिये अगाध प्रेम था। और चूँकि अत्यधिक स्वदेश-प्रीति के कारण इन महापुरुषों के प्राण कातर हो उठते थे इसलिए वे जिस बात को गलत समझते थे,

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