पृष्ठ:HinduDharmaBySwamiVivekananda.djvu/६४

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हिन्दू धर्म
 

कर दें। हम लोग हिन्दू हैं। मैं हिन्दू शब्द का किसी बुरे अर्थ में प्रयोग नहीं कर रहा हूँ और मैं उन लोगों से कदापि सहमत नहीं, जो उससे कोई बुरा अर्थ समझते हों। प्राचीन काल में उस शब्द का अर्थ था, सिन्धु नदी के दूसरी ओर बसनेवाले लोग । हमसे घृणा करनेवाले बहुतेरे लोग, आज उस शब्द का कुत्सित अर्थ भले ही लगाते हों, पर केवल नाम में ही क्या धरा है ? यह तो हमारे ऊपर ही पूर्णतया निर्भर है कि हिन्दू नाम अखिल महिमामय तथा आध्यामिक विषयों का द्योतक रहे या कि उस शब्द का चिरकाल तक घृणासूचक प्रयोग हो तथा उस शब्द से पददलित, निकम्मी और धर्मभ्रष्ट जाति का ही बोध हो । यदि आज हिन्दू शब्द का कोई बुरा अर्थ है, तो उसकी परवाह मत करो। आओ अपने कार्यों और आचरणों द्वारा यह दिखाने को तैयार हो जाओ, कि समग्र संसार की कोई भी भाषा इससे ऊँचा, इससे महान शब्द का आविष्कार ही नहीं कर सकी है। मेरे जीवन की यह नीति रही है कि मैं अपने पूर्वजों की सन्तान कहलाने में लज्जित नहीं होता।मुझ जैसा गर्वी मानव इस संसार में शायद ही हो, पर मैं यह स्पष्ट रूप से बता देता हूँ कि वह गर्व मुझे अपने स्वयं के गुण या शक्ति के कारण नहीं, वरन् अपने पूर्वजों के गौरव के कारण है। जितना ही अधिक मैंने प्राचीन विषयों का अध्ययन किया है, जितना ही मैंने भूतकाल की ओर निरक्षिण किया है. उतना ही यह गर्व मुझमें अधिक आता गया तथा मुझे उससे श्रद्धा की दृढ़ता और

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