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हिन्दू धर्म और उसका सामान्य आधार
 

कहते हैं–"मनुष्य ने आत्मा छोड़ दी" (A man gives up the ghost); पर हमारे यहाँ की भाषा में कहते हैं, "अमुक ने शरीर छोड दिया।" पाश्चात्य-देशवासी अपनी बात कहते समय पहले देह को ही लक्ष्य करता है, उसके बाद उसकी एक आत्मा है–इस प्रकार वह उल्लेख करता है। पर हम लोग पहले ही अपने को आत्मा समझते हैं, उसके बाद हमारी एक देह है, ऐसा कहा करते हैं। इन दोनों विभिन्न वाक्यों की आलोचना करने पर तुम देखोगे कि प्राच्य और पाश्चात्य विचार-प्रणाली में कितना अन्तर है। इसीलिये जितनी सभ्यताएँ भौतिक सुख-स्वच्छन्दता की नींव पर कायम हुई थी, वे थोड़े ही समय के लिये जीवित रहकर एक एक करके सभी लुप्त हो गईं; परन्तु भारत की सभ्यता–बल्कि उन देशों की सभ्यता भी जिन्होंने भारत के चरणों के पास बैठकर शिक्षा ग्रहण की है, जैसे चीन, जापान आदि–अब तक भी जीवित हैं। इतना ही नहीं, उनमें पुनरुत्थान के लक्षण भी दिखाई दे रहे हैं। 'फिनिक्स'[१] के समान हजारों बार नष्ट होने पर भी वे पुनः अधिक तेजस्वी होकर प्रस्फुरित होने को तैयार हैं। पर जड़वाद के आधार पर जो सभ्यताएँ स्थापित हैं वे यदि एक बार नष्ट हो गई, तो फिर उठ नहीं सकतीं–एक बार यदि महल ढह पड़ा, तो बस सदा को लिए धूल में मिल गया। अतएव, धैर्य के साथ राह देखते रहो, भावी गौरव हमारे लिये संचय करके रखा हुआ है।


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  1. ग्रीक दन्तकथाओं के अनुसार फिनिक्स (Phoenix) एक चिड़िया है जो अकेली ५०० वर्ष तक जीती है और पुनः अपने भस्म में से जी उठती है।