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राजस्थान की रजत बूंदें


अन्य मरुप्रदेशों में इस काम की प्रासंगिकता है। इसी सिलसिले में एशिया और अफ्रीका के मरुप्रदेशों की थोड़ी-बहुत जानकारी एकत्र की, कुछ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष संपर्क भी किया।

आज दुनिया के कोई सौ देशों में मरुभूमि का विस्तार है। इनमें अमेरिका, रूस और आस्ट्रेलिया जैसे अमीर माने गए देश छोड़ दें। और चाहें तो इस सूची में पेट्रोल के कारण हाल ही में अमीर बन गए खाड़ी के देश और इजरायल भी अलग कर लें। तो भी एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कई ऐसे देश हैं जहां मरुप्रदेशों में पानी का, पीने के पानी का घोर संकट छाया है। सहसा यह विश्वास नहीं होता कि वहां के समाज ने वर्षों से वहां रहते हुए पानी का ऐसा उम्दा काम नहीं किया होगा जैसा राजस्थान में हो पाया था। वहां के जानकार लोग और संस्थाएं तो यही बताती हैं कि उन जगहों पर कोई व्यवस्थित परंपरा नहीं है। रही होगी तो गुलामी के लंबे दौर में छिन्न-भिन्न हो गई होगी।

इन देशों में मरुभूमि के विस्तार को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम की एक विराट अंतर्राष्ट्रीय योजना चल रही है। इसके अलावा अमेरिका, कैनेडा, स्वीडन, नार्वे, हालैंड की दान-अनुदान देने वाली कोई आधा दर्जन संस्थाएं कुछ अरब रुपए इन देशों में पीने का पानी जुटाने में खर्च कर रही हैं। ये तमाम अरबपति संस्थाएं अपने अपने देशों से अपने विचार, अपने यंत्र, साधन, निर्माण सामग्री, मरुप्रदेशों के इस चित्र की तुलना करें और तो और प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ता तक इन देशों में लगा रही हैं। पानी जुटाने के ऐसे सभी अंतर्राष्ट्रीय प्रयत्नों का एक विचित्र नमूना बन गया है बोत्सवाना देश।

विशेषज्ञ, तकनीकी लोग
राजस्थान से, जहां समाज ने कुछ सैकड़ों
वर्षों से पानी की रजत बूंदों को
जगह-जगह समेट कर, सहेजकर रखने की
एक परंपरा बनाई है और इस परंपराने
कुछ लाख कुंडियां, कुछ लाख टोके,
कुछ हजार कुंईयाँ
और कुछ हजार छोटे-बड़े तालाब बनाए हैं।
इसके लिए उसने
किसी के आगे कभी हाथ नहीं पसारा

बोत्सवाना अफ्रीका के मरु प्रदेश में बसा एक गणराज्य है। क्षेत्रफल है ५,६१,८०० वर्ग किलोमीटर और जनसंख्या है ८,७०,०००। तुलना कीजिए राजस्थान से जिसका क्षेत्रफल एक बार फिर दुहरा लें ३,४२,००० वर्ग किलोमीटर, यानी बोत्सवाना से काफी कम, पर जनसंख्या है लगभग ४ करोड़, बोत्सवाना की जनसंख्या से पचास गुना ज्यादा । बोत्सवाना का लगभग ८० प्रतिशत भाग कालाहारी नामक रेगिस्तान में आता है।

राजस्थान की मरुभूमि के मुकाबले यहां वर्षा की स्थिति कुछ अच्छी ही कहलाएगी।