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अभी कुछ ही पहले बनाए हैं, जैसलमेर के नरसिहों की ढाणी के पास। संन्यास लेने से पहले ये चरवाहे थे। इस क्षेत्र में बरसने वाले पानी को बहते देखते थे। साधु बनने के बाद उन्हें लगा कि इस पानी का उपयोग होना चाहिए। उनका बचा काम अब उनके शिष्य यहां पूरा कर रहे हैं। संसार छोड़ चुके संन्यासी पानी के काम को कितने आध्यात्मिक ढंग से अपनाते हैं–इसकी विस्तृत जानकारी श्री जेठूसिंह से मिल सकती है।

जयगढ़ किले में बने विशाल टांके की पहली जानकारी हमें जयपुर शहर के संग्रहालय में लगे एक विज्ञापन से मिली थी। उसमें इसे विश्व का सबसे बड़ा टांका कहा गया था। बाद में यहां हम चाकसू की संस्था एग्रो एक्शन के श्री शरद जोशी के साथ गए और प्रारंभिक जानकारी भी उन्हीं से मिली। इस सबसे बड़े टांके की संक्षिप्त जानकारी इस प्रकार है :

टांके का आगौर जयगढ़ की पहाड़ियों पर ४ किलोमीटर तक फैला है। बड़ी छोटी अनेक नहरों का जाल पहाड़ियों पर बरसने वाले पानी को समेट कर किले की दीवार तक लाता है। नहरों की ढलान भी कुछ इस ढंग से बनी है कि इनमें पानी बहने के बदले धीरे-धीरे आगे 'चढ़ता' है। इस तरह पानी के साथ आने वाली साद पीछे छूटती जाती है। नहरों के रास्ते में भी कई छोटे-छोटे कुंड बने हैं। इनमें भी पानी साद छोड़ कर, साफ होकर आगे मुख्य टांके की ओर बहता है।

आपातकाल के दौरान यानी सन् १९७५-७६ में सरकार ने इन्हीं टांकों में जयपुर घराने के 'छिपे' खजाने को खोजने के लिए भारी खुदाई की थी। यह कुछ महीनों तक चली थी। तीनों टांकों के आसपास खुदाई हुई। टांकों का सारा पानी बड़े-बड़े पंपों की सहायता से उलीचा गया।

आयकर विभाग के इन छापों में खजाना मिला या नहीं, पता नहीं पर वर्षा जल के संग्रह का यह अद्भुत खजाना चारों तरफ की गहरी खुदाई से कुछ लुट ही गया था। फिर भी यह उसकी मजबूती ही मानी जाएगी कि कोई चार सौ बरस पहले बने ये टांके इस विचित्र अभियान को भी सह सके हैं और आज भी अपना काम बखूबी रहे हैं।

जयगढ़ टांके का गवाक्ष

इन टांकों, छापों और खुदाई की विस्तृत जानकारी श्री आर. एस. खंगारोत और श्री पी. एस. नाथावत द्वारा लिखी गई अंग्रेजी पुस्तक 'जयगढ़, द इनविंसिबल फोर्ट ऑफ आमेर' से मिल सकती है। प्रकाशक हैं : आर. बी. एस. ए. पब्लिशर्स, एस. एम. एस. हाईवे जयपुर।

राजस्थान में चारों तरफ रजत बूंदों की तरह छिटकी हुई इन कुंडियों, टांकों, कुंइयों, पार और तालाबों ने समाज की जो सेवा की है, पीने का जो पानी जुटाया है, उसकी कीमत का हम आज अंदाज

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राजस्थान की रजत बूंदें