पृष्ठ:Rajasthan Ki Rajat Boondein (Hindi).pdf/९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

घड़सीसर, जैसलमेर

बाल-विवाह के विरुद्ध कानून बनवाने वाले समाज सुधारक श्री हरबिलास शारदा ने अपनी एक पुस्तक 'अजमेर : हिस्टारिकल एंड डिस्क्रिप्टिव' में अजमेर, तारागढ़, अन्नासागर, विसलसर, पुष्कर आदि पर विस्तार से लिखा था। सन् १९३३ के अक्टूबर में अजमेर में अखिल भारतीय स्वदेशी औद्योगिक प्रदर्शनी लगी थी। प्रदर्शनी समिति के अध्यक्ष श्री हरबिलास शारदा ही थे। कई लोगों को यह जान कर आश्चर्य होगा कि इस विषय पर लगी प्रदर्शनी में अजमेर के अन्नासागर नामक तालाब पर विशेष जानकारी दी गई थी।

इसी क्षेत्र में पानी और गोचर को लेकर काम कर रहे श्री लक्ष्मणसिंह राजपूत से हमें यहां के लगभग हर गांव में बंजारों के द्वारा बनाई गई तलाइयों की सूचना मिली और फिर उनके साथ की गई यात्राओं में इन्हें देखने का अवसर भी।

यहां इन्हें दंड-तलाई कहते हैं। इन सब तलाइयों के किनारे दंड, यानी स्तंभ लगे हैं बंजारों के। संभवतः इसी कारण इनको इस नाम से याद रखा गया है। श्री लक्ष्मणसिंह ऐसी तलाइयों की टूट-फूट को ठीक करने का भी अभियान चला रहे हैं। उनका पता है : ग्राम विकास नवयुवक मंडल, ग्राम लापोडिया, बरास्ता दूदू, जयपुर।

जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर के आंकड़े हमें इन जिलों के गजेटियरों और सन् १९८१ की जनगणना रिपोर्ट से मिले हैं। इन्हीं में हमने मरुभूमि का वह डरावना रूप देखा है जो सारे योजनाकारों के मन में बुरी तरह व्याप्त है।

जैसलमेर के तालाबों की प्रारंभिक सूची हमें श्री नारायण शर्मा की पुस्तक 'जैसलमेर' से मिली थी। इसके प्रकाशक हैं : गोयल ब्रदर्स, सूरज पोल, उदयपुर। फिर हर बार इस सूची में दो-चार नए नाम

९८
राजस्थान की रजत बूंदें