दे सकता। लेकिन अगर आप भगवानसे प्रार्थना करे, तो वह आपके दुखो और चिंताओको जरूर मिटा सकता है। लेकिन प्रार्थनाको असरकारक बनानेके लिअे हमे सच्चे दिलसे रामधुनमे भाग लेना चाहिये, और तभी हमे शाति और सुखका अनुभव हो सकता है।
अिसके अलावा, दूसरी शर्ते भी है, जिन्हे पूरा करना जरूरी है। हमें अुचित खुराक लेना चाहिये, काफी सोना चाहिये और कभी गुस्सा नही करना चाहिये। सबसे पहली बात तो यह है कि हमे कुदरतके साथ मेल साध कर रहना चाहिये और अुसके नियमोका पालन करना चाहिये।
––पूना, २२-३-'४६
तैयारी जरूरी
प्रार्थनाके बाद सभामे भाषण करते हुअे गाधीजीने कहा अीमानदार स्त्री-पुरुषोने मुझे कहा है कि पूरी-पूरी कोशिश करने पर भी वे यह नही कह सकते कि वे दिलसे रामनाम लेते है। अुन्हे मेरा जवाब यह है कि वे कोशिश करते रहे और अपार धीरज रखे। अेक लडकेको डॉक्टर बननेके लिअे कम-से-कम १६ सालका कठिन अभ्यास जरूरी होता है। तब फिर रामनामको दिलमे बसानेके लिअे कितना ज्यादा समय जरूरी होना चाहिये।
––नअी दिल्ली, २०-४-'४६
भीतरी और बाहरी पवित्रता
जो आदमी रामनाम जपकर अपनी अन्तरात्माको पवित्र बना लेता है, वह बाहरी गन्दगीको बरदाश्त नही कर सकता। अगर लाखो-करोडो लोग सच्चे हृदयसे रामनाम जपे, तो न तो दगे—जो सामाजिक रोग है—हो। और न बीमारी हो। दुनियामे रामराज्य कायम हो जाय।
––नअी दिल्ली, २१-४-'४६
रामनामका दुरुपयोग
आज प्रार्थनाके बादके भाषणमे गाधीजीने कुदरती अिलाजका जिक्र किया। यानी तन, मन और आत्माकी बीमारियोको खास तौर पर रामनामकी मददसे मिटानेके बारेमे समझाया। अेक भाअीने लिखा था कि कुछ लोग अन्ध-विश्वासकी वजहसे कपडो पर रामनाम छपवा लेते है, और अुन्हे अपने