पृष्ठ:Satya Ke Prayog - Mahatma Gandhi.pdf/३३६

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और उसमें बालकको भी शामिल करनेका उद्योग किया गया । बाजार से रोटी (डबल रोटी खरीदने के बदले में हाथसे बिना खमीरकी रोटी, कुनेकी बताई पद्धतिसे, बनाना शुरू किया । ऐसी रोटीमें 'भिलका आटा के नहीं दे सकता है फिर भिल टेके बजाय हाका अदा इस्तेमाल करने में सादगी, तंदुरुस्ती और धन, सबकी अधिक रक्षा होती थी । इसलिए ७ पौंड खर्च करके हाथसे अटा पीसनेकी एक इक्की खरीदी । इसका पहिया भारी था । इसलिए चलाने एकको दिक्कत होती श्री और दो आदमी उसे आसानीसे चला सकते थे। चक्की चलानेका काम खासकर पोलक, मैं और बच्चे करते थे। कभी-कभी कस्तूरवाई भी आ जाती है हालांकि यह प्रायः उस समय रसोई करने लगी रहती । श्रीमती मोलको नेचर वह भी उसमें जुट जाती । यह कसरत चालक के लिए बहुत अच्छी साबित हुई । उनले मैंने यह अथवा कोई दुसरा का जबरदस्त कभी नहीं करवाया; परंतु के एक खेल समझ कर उसका पहिया घुमाते रहते । थक जानेर पहिया छोड़ देनेकी उन्हें छुट्टी थी। मैं नहीं कह सकता, क्या बात है कि क्या बालक और क्या दूसरे लोग, जिनका परिचय हम आग' करेंगे, किसी कभी मुझे निराश नहीं किया है ।। यह नहीं कह सकते कि मंद और ढीठ लड़के मेरे नसीब में न हों; परंतु इनमें से बहुतेरे अपने जिस्मैका काम बड़ी उमंगसे करते । इस युगके ऐसे थोड़े ही बालक मुझे याद पड़ते हैं, जिन्होंने काम जी चुराया हो या कहा हो कि 'अब . थक गये । घर साफ रखनेके लिए एक नौकर था । वह कुटुंबीकी तरह रहता था। और बच्चे उसके काममें पूरी-पूरी मदद करते थे । पाखाना उठा ले जाने के लिए। म्युनिसिलिटी नौकर आता था; परंतु पाखानेका कमरा साफ रखना, बैठक धोना बरा झा नौकरने नहीं लिया जाता था और न इसकी प्राश ही रक्खी जाती थी । यह काम हम लोग खुद करते थे; क्योंकि उसमें भी बच्चोंको तालीम मिलती थी ! इसका फल यह हुअा कि मेरे किसी भी लड़केको शुरूसे ही पाखाना साफ करनेकी विन न्द्र रहीं और आरोग्य के सामान्य नियम भी वे सहज ही सीख गये । जोहान्सबर्ग में कोई बीमार तो शायद ही पड़ते; परंतु यदि कोई बीमार होता तो उसकी सेवा दिने बालक अवश्य शामिल होते और वे इस कामको