पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१२६

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११८ सच्चे खिटियान की आत्मिक गति । १०६ एक सौ नवां गीत । खोष्ट बिमुख जो जन दुरचारी. जन्म अकारथ साउ वितावे। यो प्रेम रतन जिन पाई. तिनको का जग धन नदि ललचावे॥ इरख उमंग रहे नित उन का. धर्म धीर विश्वास जुगावे ॥ भक्ति रूप अस जासु न होई. झूठे से प्रभु दास कहावे॥ ग्रीयो सव निज हिरद विचारो. कोउ न अपना मन वहकावे ॥ प्रेम अमित संपद जो राखे. सहि दुःख संकट नहि अकुलावे ॥ उमड़त हिया बहत सुख धारा. और न मनहु निहाल करावे ॥ प्रभु जी दास निवेदन सुनिये. अधम हिया फिर भटक न जावे॥ परीक्षा प्रभु सब ठारो. निबल कुपुत्र सुपुत्र कहावे ॥ पाप