पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१३२

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१२४ सच्चे खिष्टियान की अत्मिक गति । ११८ एक सौ अठारहवां गीत । ख्याल रटना। अरे हारे मन योश को जपना ॥ यीशु सिवा कोई पार न करिहै . यीशु पर चित धरना ॥ माया मोह बीच फल नाहीं . यीश को जबलग प्रान रहत है घटमों . तभी तलक अपना ॥ ज्ञान ध्यान से देखा मनमों . दुनया है सपना ॥ कहता है अासी सुन भाई साधू . आखिर है मरना ॥ ११६ एक सौ उन्नीसवां गीत । ईमन मन मरन मसय जव आवेगा। धन समपति अरु महल सराए , कूटि सबे तब जावेगा ॥ ज्ञान मान बिद्या गुन माया . केते चित उरझाबेगा ॥ मृग तृष्णा जस तिरखत यागे . तैसे सब भरमावेगा ॥ मातु पिता सुत नारि सहोदर • झूठे माथ ठठावेगा । पिंजर घेरे चैौदिश बिल, सुगवा प्रिय उड़ जावेगा। ऐसे काल शमशान समान . कर गहि कौन बचावेगा। जान अधम जन जौं विश्वासी , यो पार लगावेगा।