पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१३३

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सच्चे खिष्टियान को यात्मिक गति । १-५ १२० एक सौ बीसवां गीत। ईमन मन मरन समय नियराता है। नैनन खोले चादिश देखो , हर दम चिता चिताता है। प्रातहि सूर उगे दिग पूरब • सांझ पड़न बुड़ जाता है ॥ चारि पहर के जिनगी तैसे . वुडन न दोरे लगाता है । जो प्रिय बालक मातु खिलावत . गोदाह सो मरजाता है ॥ बाहि काड़े मराह कमामुत . कोह कौन रख सकता है । जन में जेते मरिह सवही . क्या माया उरझाता है। जान घड़ी में अाय बुलाहट . सबका सब छुट जाता है ॥ धन जन तनके कौन भरोसा . कन भर के यह नाता है। अमर पदारथ जानहि पायो . यीशू जो मन भाता है ॥ १२१ एक सौ एक्कीसवां गीत । यही जग बन अति भारी . संका संकट बासा ॥ मानुख मेम्ना सिंह शैताना . झाड़ी झठ बिलासा। घाट अगोरि काल गो गहिके . करही प्रान बिनासा ॥ भूली भटकी भेड़ उबारन • प्रभु तजि तेज निवासा । ब्दन घन बिच बहु भरमत यीशू • लेहि मेघ निज पासा ॥ देह बिदारण दुःख अति दारुण . पीड़ शाप उपहासा । भार भयानक भया विमल को . पापिन को प्रतिमासा ॥