पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१३४

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१०६ प्रार्थना और इबादत । नर निस्तार निरखि नैननते . पावहिं दूत हुलासा । स्वामी धुनि सुनि आश्रित अावा . प्रभु करु मोहि निकासा ॥ १२२ एक सौ बाईसवां गीत । सारंग क्या जान्यो नर ज्यों नहि जान्यो. मर्म कुचालो अपने मनकी॥ नाना बिध के विद्या जानत जोग जुगुत के पर कारन को। नोको चोखी तान अलापे.भेद जनित रागिनि राशन की। हय गज रथ फेरन जानत ना बिद्या जानत गढ़ तोड़न को। तोर तुपक अति ठीक चलावत . निपुनाई नाना अस्त्रन को। धन अपनावन कारे चतुराई . दंत क्रंत जानत जोड़न को यह सब जानत औरो जानत. जानत औषध तन रोगन की। धूरि मिले सब जानब तेरो . कालहि बार जब लेखन की। भेद न पैहो जान अधम विनु : किरपा यो अघभंजन को। । प्रार्थना और इबादत । A- १२३ एक सा तेईसवां गीत । L. M. १ भाईओ हम खुदावन्द के गीत गावे खशनावाज़ो से हम जावै खुशी से मअमर और हिम्मत से उस के हुजर ॥