पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१४६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१३८ प्रार्थना और इबादत । ४ जो हमे यावे मरनकाल हम अानन्द रहे और निडर और जायें तुझ पास दीनदयाल त हम पर यह अनुग्रह कर स्तुति से स्तुति से इस दिन को माने प्रभु के ईसा मसीह के कारण से सब पाप की क्षमा दान त स्तुति से स्तुति से इस दिन को माने प्रभु के। १३३ एक सौ तेतीसवां गीत । L. M. १ अब आई है इतवार की शाम और आखिर होता रोज़ आराम खुदाया तेरे पाक हुजर मैं शुक्र करता पुरसुरूर ॥ निअमतों को बेशुमार नित दिया करता हर इतवार तो भी मैं गाफिल होता हूं और निअमतों को खाता हूं। ३ बंदे की सारी भल गुनाह बखश फज़ल से तू ऐ अल्लाह