पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१४७

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प्रार्थना और इबादत । १३ 8 ईमान में रूह के असर से तू मेरे सई तरकी दे। कलाम हमारे वाइज़ का हमारे दिलों में जमा कि उस का फाइदः ज़ाहिर हो जमाअत के शरीकों को ॥ . १ १३४ एक सौ चौतीसवां गीत। S. M. सवेरे शुक्र हो खुदावन्द है रखवाल कल शाम को तू ने सुना था मुझ आसी का सवाल ॥ रात के अंधेरे में मैं माया चैन के साथ मुझे सलामत रखने को था मुझ पर तेरा हाथ । शुक्र हज़ार हजार अब तेरे नाम पर हो तू दिन भर भो सलामत रख मुझ आजिज़ बंदे को।