पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१४८

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१४० प्रार्थना और इबादत । ४ और जा पावेगा इस दिन में से खुदा तो फज़ल करके अपने पास तू मुझे तब उठा ॥ 7s. . १ २ १३५ एक सौ पैंतीसवां गीत । अब अंधेरा गया है फिर उजाला अाया है मेरा मन उजाला कर प्रभु मन को प्रेम से भर ॥ पाप की इच्छा आज जो हो सक्ति दे नाश करने का ईसा त सहारा दे कि मैं वचं पापों से ॥ ३ मन के बुरे सोच मिटा मुझे जोखिम से बचा कहीं मुझे तू न छोड़ अपना मुंह न मुझ से मोड़ । ४ श्रावेगा जब मरनकाल मुझ बलहीन को तब सम्भाल प्रभुत है कृपामय हो उस काल तू मृत्युञ्जय ।। --