पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१६१

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मृत्यु और स्वर्गलोक। १५३ पस याओ जलदी से ताज ओ राज का शौकत के ईसा से पावंगे पुर पुर जलाल १४८ एक सौ अठतालीसवां गीत। १ सैहन आसमानी क्या हसीन वहां मसीह है तखतनशीन दर उस के सारे मोतिया वहां की हैकल है खुदा ईसा जान देके कलवरी पर खोलता है मेरे वासते दर ॥ आसमान हसीन और रौनकदार वहां फ़िरिशते है नरदार गाते खुदावन्द को तौसीफ़ ईसा की हम्द हो और तारीफ मैं भी अावाज़ मिलाऊंगा हम्द ओ तअरीफ़ भी गाऊंगा ॥ ३ ताज जीनतदार रास्तबाजों के धोया लिबास पाक से ग़ालिबों को है फतहनिशान पाकीज़ा सब जो हैं वहां