पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१६२

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१५४ मृत्यु और स्वर्गलोक। उस की आरज रखता हूं मैं क्या ही खुशनुमा है सैहन ॥ ४ हसीन फ़िरिशते खुशइलहान सदा खुदा के सनाखान उन के सरोद हैं क्या शीरीन सैहन आसमानी क्या हसीन देखंगा वहां ईसा का हमद और सित्ताइश उस को हो । १४६ एक सौ उनचासवां गीत। 115. १ पासमान पर पाराम है और कुछ नहीं आसमान मेरा घर है बां पाऊंगा सुख रूह मेरी ख़ामोश हो और त निडर दुख पाये तो यावे मैं जाता हूं घर ॥ दुनया की खुशी से नहीं अाराम श्रासमान की सआदत है पाक और मुदाम जिस शहर में जाता जलील है और खब मैं देखंगा वहां मसीहर महबूब ।। ३ यह दुनया जङ्गल वीरान बयाबान क्यों इसे कवल करके खाऊं आसमान