पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/९२

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८४ पवित्र आत्म। ऐ रूह तू उतर आ मुझ पर और अपनी कुदरत जाहिर कर ॥ ४ तू जानता मेरे दिल का हाल सब गफलत उस में से निकाल और अपने बड़े फ़ज़ल से तू सच्ची दानिश मुझे दे । ८१ एकासीवां गीत। L. 31. १ चमका सहुलकुदसत उतर श्रा और दिल में रोशनी तू कहानी जिन्दगानी दे भर दिल हमारे उलफत से ॥ २ देख हम हैं कैसे खताकार गुनाह का करते हैं इकरार कि उस का बोझ सताता है हमारे जी दवाता है। हम गीत बेफाइदः गाते हैं जो नहीं दिल लगाते है बिन तेरे फज़ल हम लाचार से रूहुलकुद्स हो मददगार ॥