पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/९३

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सच्चे खिष्टियान की आत्मिक गति । ८५ ४ हम सभी को अब जता ग़फलत से जगा त बंदगी को ताकत दे कि होवे रूह और रास्ती से ॥ रूहानी सच्चे खिष्टियान की आत्मिक गति । ८२ बयासीवां गीत । 11, 12s. ईसाई सोच कर है तेरा क्या नाम ईसाई कह हर रोज़ है तेरा क्या काम न नाम से पर काम से है काम तुझे भाई जो नाम का और काम का सा सच्चा ईसाई ॥ २ दिल अपने में कह तू और कभी मत भूल कि रब की तअरीफ में आज रहूं मशगूल गुनाह से मैं तौबा कर उस से बाज़ आऊं मसीह पर ईमान ला जान अपनी बचाऊं ॥ ३ मैं रूह ही से मारूं आज जिसम् के काम मैं मागं दीन्दारी और रूह के इनाम याद करूं मैं रब्व को जो हुई करामत कि अल्लाह करीम है और मैं पुरमलामत ॥