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तुलसी चौरा :: ११
 


बृहस्पतिवार की सुबह, बेटे का एक संक्षिप्त पर तीखा उत्तर आ गया।

इन्हें लगा जैसे रवि ने हड़बड़ी में उत्तर दिया है।

'बाऊ जी, वैवाहिक विज्ञापन देने की कोई आवश्यकता नहीं है। उसे रोक लीजिए। मैं जानता हूँ, बेणु काका और दीदी ने यहाँ का सारा समाचार आएको दे ही दिया होगा। मैं नहीं जानता कि आपने सब कुछ समझ बूझकर लिखा है, या फिर अनजाने में ही लिख डाला है। मेरा उत्तर यही है, और रहेगा। कैमिल से मैं प्यार करता हूँ। वह भी मुझसे प्यार करती है। उसके बिना मैं जी नहीं सकता। यह सच है। मुझे लगता है, अगर कैमिल को मैं सुविधा के लिए कमली कहूँ, तो आपको जरूर अच्छा लगेगा। वह भी भारत आना चाहती है, और आप लोगों से मिलना चाहती है। इस बार मैं कमली को साथ लाना चाहता हूँ।"

लक्ष्मी सा चेहरा है उसका, सोने सा रंग। अम्मा से कहिएगा कि उसके लिये चाँद सी बहू ला रहा हूँ। कमली भी, अम्मा से बहुत कुछ सीखना चाहती है। मुझे भरोसा है, आप या अम्मा उसे कुछ नहीं कहेंगे। समझ लीजिए यह मेरा अनुरोध है।

याद है, बचपन में आप जब मुझे संस्कृत काका पढ़ाया करते थे, तो 'गांधर्व विवाह' की परिषाभा स्पष्ट करते हुए आपने कहा था कि जिस विवाह में न देने वाला हो, न लेने वाला पर दो व्यक्ति परस्पर एक दूसरे को चाहें। तन और मन दोनों से एकाकार हों वही गंधर्व विवाह है।....आपने यह भी कहा था कि यह विवाह सर्वश्रेष्ठ होता है। आज मैं वह सब आपको याद भर दिलाना चाहता हूँ।

यहाँ बैठे-बैठे मैं इस वक्त आपकी और अम्मा की मनःस्थिति का अंदाज लगा सकता हूँ।

कुमार की पढ़ाई कैसी चल रही है। पारू को मेरा प्यार पहुँचा दीजिए। कहिए कि उसकी फ्रैंच भाभी उनसे मिलना चाहती है।

बेणु काका और बसंती वी को मेरी याद कहें बसँती यहाँ कमली