'आप अपने मूवमेंट के बारे में कुछ बताएँगे?'
'बहुत दिनों से ताँबे का कोई बर्तन कोने में पड़ा रहे, तो उसकी चमक बिल्कुल गायब हो जाती है। इसी तरह…इस देश के ज्ञान और विवेक पर जाति और धर्म प्रथाओं, रीति रिवाजों का और अंधविश्वास की परत चढ़ गयी है, उन अंधविश्वासों को दूर करना हमारा आधार भूत सिद्धांत है। ताकि उसका असली रूप निखर कर सामने आए। ठीक उसी तरह से ताँबे के बर्तन को इमली से माजकर चमकाते हैं। यह आत्म-मर्यादा का आंदोलन इसी कारण शुरू किया गया था। इन बाह्य आडम्बरों और कर्मकांडों से असली ज्ञान और विवेक ही महत्वपूर्ण है।
'यह आत्म मर्यादा क्या है…।'
'किसी भी स्थिति में दूसरों से अपने को अपमानित न होने देना और दूसरों का अपमान न करना यही आरम-मर्यादा का आन्दोलन का मूलभूत सिद्धांत है।'
'आपका स्पष्टीकरण बहुत सुन्दर है।' कमली ने जी खोलकर प्रशंसा की।
'अरे, हाँ, बाऊ जी किसलिये कारिदे को बुलवाने गए हैं। रवि ने पूछा।
इरैमुडिमणि ने रवि को बताया कि मठ की जमीन को किराये पर ले रहे हैं।
कमली को ओसारे पर बैठे देखकर आस-पास के मकानों से कुछ चेहरे झाँकने लगे। रवि और इरैमुडिमणि ने इसे ध्यान से देखा?
'गाँव के लोग, अपने घर से ज्यादा दूसरों के घरों के मामलों में रुचि लेते हैं।'
'यही नहीं, चाचा। इस वक्त गाँव का सारा ध्यान मुझ पर और कमली पर है। हमारी ही वातें घर-घर होने लगी होंगी।'
'हाँ, हाँ, होंगी। तो इससे क्या? तुम घबरा मत जाना बेटे।