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यह गली बिकाऊ नहीं/135
 


मुत्तुकुमरन् ने अपनी बातों के दौरान इस बात पर जोर दिया था कि मेरे ख्याल से पहले-पहल कोई लफंगा-लुच्चा ही उसे इस लाइन में खींच लाया होगा ! माधवी ने कभी मुत्तुकुमरन् से बातें करते हुए कहा था कि मुझे इस लाइन में लातेवाले गोपाल ही हैं । इस पर तुरन्त भुत्तुकुमरन् ने उसपर ज़हर उगलते हुए कुरेदा था कि लाइन माने क्या होता है ? इस बात के साथ ही, उसे पिछली बात की याद हो आयी। ठीक उसी तरह आज मुत्तुकुमरन् ने 'लाइन' शब्द का इस्तेमाल किया था। उसने यों ही उस शब्द का इस्तेमाल किया था या किसी गूढार्थ से उसका इस्तेमाल किया था. यह समझ न पाने से वह दिल ही दिल में कुढ़ गयी । इस हालत में जब उदय रेखा के चरित्र को लेकर बात बढ़ी तो उसे डर लगने लगा था कि सौमनस्य और शांति से युक्त वातावरण में कहीं खलल न पड़े।


'क्वालालम्पुर में नाटक के प्रथम प्रदर्शन में अच्छी-खासी वसूली हुई । अब्दुल्ला बता रहे थे कि हर दिन के नाटक के लिए 'हैवी बुकिंग' है । दूसरे दिन दोपहर को रुद्रपति रेड्डियार की कार स्ट्रेयिड्स होटल में आयी और मुत्तुकुमरन और माधवी को दावत के लिए ले गयी।

रुद्रपति रेड्डियार जिस पेट्टालिंग जया. इलाके में रहते थे, वहाँ एक नयी कॉलोनी बसी हुई थी, जिसमें एक से बढ़कर एक नये मकान बने हुए थे। रुद्रपति रेड्डियार के ड्राइवर ने कहा कि क्वालालम्पुर भर में यह बिल्कुल नया बेजोड़ “एक्सटेन्शन' हैं । मलाया आकर रुद्रपति रेड्डियार बड़े धनी-मानी व्यक्ति हो गए 'थे। उनके यहाँ उच्च-स्तरीय पांडिय-शैली का शाकाहारी स्वादिष्ट भोजन पाकर वे बहुत प्रसन्न हुए।

भोजन के बाद रेड्डियार की तरफ से भेंट के तौर पर माधवी को सोने की एक "चन और मुत्तुकुमरन को एक बढ़िया 'सीको' की घड़ी उपहार में मिली । पान- सुपारी की तश्तरी में रखकर सोने की वह 'चेन' रेड्डियार ने माधवी के सामने बढ़ायी तो वह सोच में पड़ गयी कि उसे ले या न ले ? मुत्तुकृमरन् क्या समझेगा ?

मुत्तुकुमरन के मन की जानने के लिए, उसने आँखों से जिज्ञासा व्यक्त की। मुत्तुकुमरन ने उसके मन के भय पढ़कर हँसते हुए कहा-"ले लो ! रेड्डियारजी तो हमारे भैया हैं। इनमें और हममें फ़र्क नहीं मानना चाहिए !"

माधवी ने चेन रख लिया। रेड्डियार ने अपने हाथों से मुत्तुकुमरन् के हाथ में घड़ी बाँधी।

"भगवान की कृपा से समुद्र पार इस देश में आकर हम काफ़ी खुशहाल हैं ।

खुशहाली में हमें अपनों को नहीं भूलना चाहिए !"-- रेड्डियार ने कहा।

"माधवी ! यह न समझना कि रेड्डियार अभी ऐसे हैं । मदुरै में रहते हुए भी