पृष्ठ:Yeh Gali Bikau Nahin-Hindi.pdf/४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
यह गली बिकाऊ नहीं/47
 

चुपचाप सुनता रहा।

थोड़ी देर बातें करके गोपाल चला गया। बातों के बीच गोपाल ने नाटक की तारीफ़ करते हुए कहा था कि शुरू सचमुच ही बढ़िया और सुन्दर बना है। मुत्तु- कुमरन् को उसकी तारीफ़ गहरी नहीं, सतही लगी।

उस समय उसके दिल को कोई दूसरा विषय कुरेद रहा था। अपने घर आकर ठहरे हुए मेहमान के विषय में, अपने यहाँ पगार पानेवाले कार ड्राइवर से यह पूछने वाला मालिक, कि वे कहाँ जाते हैं, क्या करते हैं, किससे मिलते हैं और क्या बात करते हैं, कितना संस्कारी होगा?' ऐसी पूछ-ताछ का शिकार बननेवाले मेहमान के प्रति ड्राइवर क्या आदर भाव दिखायेगा ? उसके दिल में ऐसे ही विचार दौड़ रहे थे। हो सकता है कि गोपाल ने रात को या सवेरे माधवी ही को फोन कर पूछ लिया होगा।" यह विचार तो आया । लेकिन फिर लौट गया कि यह सम्भव नहीं है। क्योंकि माधवी ने स्वयं इस विषय में मुत्तुकुमरन् को आगाह कर भेजा था। इस सूरत में गोपाल के सवालों का उत्तर उसने टाल-मटोल करते ही दिया होगा।

गोपाल एकाएक मुत्तुकुमरन के लिए कोई अनबूझ पहेली हो गया था।

मुझे अपने खर्चों के लिए कोई कष्ट न हो----इस उद्देश्य से हजार रुपये भेजने- वाला दोस्त एक छोटी-सी बात के लिए इतने रूखे व्यवहार पर क्यों उतर आया है ? मुझे बाहर धूमने जाने का, या माधवी को मुझे अपने घर खाते को बुलाने का अधिकार नहीं है क्या ? इसके लिए यह क्यों इतना उद्विग्न हो उठा है ? इतनी तूल क्यों देता है ? शायद इसे यह वहम हो गया है कि माधवी ने मुझसे ऐसी कुछ बातें कही होंगी, जिन्हें अपने विषय में बह रहस्य समझता हो। क्या उस सन्देह का आमने-सामने निराकरण न कर पाने की वजह से ही वह इस तरह धुमा-फिराकर पूछ रहा है ? ---इस तरह मुत्तुकुमरन् के दिल में विचारों पर विचार उठ रहे थे।

सुबह का नाश्ता आने के पहले नहा-धो लेने के विचार से बह स्नानागार में घुसा । ब्रश करते, नहाते, शरीर पर साबुन लगाते, गोपाल के सवालों ने उसका साथ नहीं छोड़ा।

'शवर' बंदकर, शरीर पोंछकर, बाथरूम से ड्रेसिंग रूम में आया तो कमरे के बाहर उसे टंकनध्वनि और चूड़ियों की झनकार सुनायी दी। उसने समझ लिया कि माधवी आ गयी है । उसके आने की राह देखे विना और उसके लिए ठहरे बिना, आते ही माधवी ने टाइप करना शुरू कर दिया तो उसे लगा कि दाल में कुछ काला ज़रूर है।

कपड़े बदलकर वह बाहर आया तो उसने देखा कि माधवी गुमसुम बैठी हैं । उसके बाहर आने पर उसने टाइप करना बंद नहीं किया, न ही कुछ बोली। चुप- चाप टाइप किये जा रही थी।