पृष्ठ:Yeh Gali Bikau Nahin-Hindi.pdf/६५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
64/यह गली बिकाऊ नहीं
 


नर्तकी- माधवी

पांडिय-गोपाल

कवि-शगोपन्

कवि मित्र-जयराम

इस तरह सूची में अठारह पान थे। उनके सामने अठारहों अभिनेताओं के नाम लिखकर गोपाल ने सूची मुत्तुकुमरन् के सामने बढ़ायी।

"इन अठारहों में तीन ही पानों को हमारी टाइप की हुई प्रतियाँ मिलेगी। बाकी लोगों को याद करने के लिए संवाद लिख लेने होंगे !" मुत्तुकुमरन ने कहा !

"हाँ हाँ ! वही ठीक रहेगा ! मैं इसका इन्तजाम कर दूंगा ! सब लिख लेंगे !" गोपाल ने कहा।

गोपाल और माधवी के लिए रिहर्सल का वक्त सुबह और बाकी लोगों के लिए जाम का समय तय हुआ।..

रिहर्सल करते-करते गोपाल ने नाटक के संवाद के विषय में एक संशोधन सुझाने का उपक्रम किया । वह यह था कि कथानायिका नर्तकी का नाम कमलवल्ली रखा गया है। संबोधन में हर बार 'कमलवल्ली, कमलवल्ली' कहकर कथानायक को पुकारना पड़ता है । "मेरे ख़याल में 'कमला' कहकर पुकारे तो अच्छा रहेगा। छोटा नाम सुन्दर रहेगा और बुलाने में भी सहूलियत रहेगी।"

"नहीं, कमलबल्ली ही बुलाना चाहिए !"

"क्यों ? कमला बुलाने में क्या हर्ज है ?"

"यह ऐतिहासिक नाम है। कमलचल्ली को 'कमला' कहकर पुकारने से सामाजिक नाटक का आभास हो जायेगा !"

"तुम्हारी बातें मेरी समझ में नहीं आती !"

"तुम्हारी समझ में आयेंगी भी कैसे?"

मुत्तुकुमरन की इस टिप्पणी से गोपाल का मुंह लाल हो गया । मुत्तुकुमरन ने यह महसूस किया कि उसके प्रतिवाद को गोपाल का घमंड हजम नहीं कर पा रहा है। फिर भी रिहर्सल जारी थी।

मुत्तुकुमरन् ने गोपाल को खातिर न तो अपना विचार बदला और न समझौते का प्रयत्न किया । संवाद और अभिनय के मामले में अपनी ही बातों पर जोर देता रहा।

पहले दिन के रिहर्सल में गोपाल के साथ मुत्तुकुमरन् की कोई ज्यादा मुठभेड़ नहीं हुई। बर्ता माधवी तो गोपाल के आगे इस तरह डरती थी जैसे बांघ के आगे हिरनी । उसे साथ रखकर मुत्तुकुमरन् भी गोपाल से कड़ाई से पेश आने या हद से बाहर होने को हिचकता था। पिछली रात को गोपाल ने जो पत्र भेजा था, वह सिर उठाकर उसे सतर्क करता रहा। पर गोपाल अंडबंड सवाल कर बैठता तो उसे