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पृष्ठ:Yeh Gali Bikau Nahin-Hindi.pdf/९६

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यह गली बिकाऊ नहीं/95
 

कीजिए। मैं दिल से आपको निश्चय ही धोखा नहीं दे रही।"

इतना कहकर उसने अपना सिर झुका लिया। उसके होंठ मुत्तुकुमरन् के पाँव चूमने लगे और आँसू उन्हें धोने लगे । मुत्तुकुमरन् का दिल पसीज गया। उसे भूलने के लिए ही तो उसने मदिरा का आश्रय लिया था ! लेकिन कुछ ही क्षणों में उसने मदिरा को भुला दिया। उसने अपने आँसुओं से उसका दिल इस तरह पिघला दिया था कि उसे इस बात का अब भान ही नहीं रहा कि सामने शराब पड़ी है।

अपने पैरों में पड़ी हुई उसकी केश-राशि और उसकी देह से लिपटी सुगंध में मदिरा से भी अधिक मादकता पाकर वह निहाल हो गया। माधवी के अश्रुपूरित नेत्रों ने उसके हृदय-पटल पर अमिट भाव-चित्र खींच दिये थे।

"आप साथ चलने को तैयार हों तो हम पैदल ही घर चले जायेंगे" ---कहते हुए जो आत्माभिमान था, वह न जाने कहाँ बहकर चला गया?

"आप तनिक शांति से सोचेंगे तो स्वयं जान जायेगे। जव वे कार पास खड़ी करके जिद करने लगे कि चलो चलें.."तो कैसे इनकार किया जा सकता था भला !"

"हाँ, जब किसी का गुलाम हो गये तो अस्वीकार करना मुश्किल ही है !"

"कोई किसी का गुलाम न भी हो तो भी तकल्लुफ़ बरतना पड़ता है !" कहते हुए वह उठी और द्वार पर जाकर नायर लड़के को बुलाया। उसके अन्दर आने पर, मुत्तुकुमरन् की अनुमति के बिना ही उसे बोतल, गिलास वगैरह उठा ले जाने को कहा । यद्यपि लड़का उसकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं कर सका, फिर भी ज़रा हिवका कि, मुत्तुकुमरन् कहीं मना न कर दे । ऐसा लगा जैसे विना मुत्तुकुमरन् की आज्ञा के वह नहीं ले जायेगा। मुत्तुकुमरन ने मुँह खोलकर कुछ नहीं कहा। थोड़ी देर वहां वैसा ही मौन छाया रहा।

लगभग पाँच मिनट बाद, मुत्तुकुमरन् ने हाथ से सारी चीजें ले जाने का इशारा किया । लड़का 'ट्रे' सहित सब कुछ उठा ले गया तो माधवी बोली, "यह लत क्यों पालते हैं ? आदत पड़ गयी तो तन्दुरुस्ती खराब हो जायेगी !" "माना कि तुम बड़ी अच्छी आदतों वाली हो और मेरी सारी बुरी आदतों को दूर करने का कौशल जानती हो !"

"नहीं, मैं ऐसा नहीं कहती ! आप मुझे जितना भी बुरा कहें, पर आप मेरे लिए अच्छे हैं !"

"तो कहो कि तुम्हें चापलूसी भी खूब आती है !"

"हाँ, आपके दिल में स्थान जो बनाना है।"

"मुंहजोरी भी कम नहीं आती।"

"आपके सामने मैं डरपोक भी हूँ और मुँहज़ोर भी 1 'एक भ्यान में दो सलवार' वाली कहावत झूठी हो सकती है भला?" याह