बिल्लेसुर बकरिहा/विज्ञापन

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बिल्लेसुर बकरिहा  (1941) 
द्वारा सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

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कुकुरमुत्ता

निरालाजी का निरालापन जितना इस संग्रह में झलकता है उतना और कहीं नहीं। इसकी भाषा में एक अनोखा चटपटापन है, जो निरालाजी के लिए भी नया है। जिन लोगों को शिकायत रही है कि निरालाजी कठिन कविता लिखते हैं, वे एक बार कुकुरमुत्ता की सादगी भी देखें। इन कविताओं की हिन्दी मे इतनी चर्चा हो चुकी है कि उनके बारे में लिखना सूर्य को दीपक दिखाना है। मूल्य॥⇗)

अणिमा

श्री निराला जी हिन्दी-संसार में भाषा और भावों में नये नये प्रयोगों के करने के लिए प्रसिद्ध है। इस संग्रह में अनामिका के बाद के उनके सभी सुन्दर गीत और कविताएँ संग्रहीत हैं। निराला जी के साहिय को समझने के लिए हिन्दी के प्रत्येक पाठक को एक प्रति इस काव्य-संग्रह की अपने पास अवश्य रखनी चाहिए। मूल्य १।)

भारतेन्दु-युग
लेखक––डा॰ रामविलास शर्मा, एम्॰ ए॰, पी-एच॰ डी॰

भारतेन्दु-युग से ही आधुनिक हिन्दी भाषा और साहित्य का आरम्भ होता है। यह युग कितना सजीव और चेतन था, इसको बहुत कम लोग जानते हैं। इस पुस्तक में उस युग के पत्र-साहित्य, नाटक, उपन्यास, निबन्ध रचना, भाषण, भाषा सम्बन्धी प्रचार आदि का विस्तृत विवेचन किया गया है। भारतेन्दु-युग का ऐतिहासिक महत्व ही नहीं है, उससे आज के लेखकों को विशेष प्रेरणा मिलेगी। पुस्तक की शैली अत्यन्त रोचक हैं। मूल्य २)

विहाग
लेखिका––श्रीमती सुमित्राकुमारी सिनहा

श्री सुमित्राकुमारीजी सिनहा की कविताओं का हिन्दी-संसार में यथेष्ट आदर और सम्मान का प्रमाण यही है कि अखिल भारतीय हिन्दी-साहित्यसम्मेलन ने उनके विहाग नामक काव्य-संग्रह को सर्वश्रेष्ठ ठहराकर ५००) [ विज्ञापन ]का सेकसरिया पारितोषिक प्रदान किया है। प्रत्येक कविता-प्रेमी के लिए यह सुन्दर कलाकृति संग्रहणीय है। मूल्य १॥)

वर्षगांठ
लेखिका––श्रीमती सुमित्राकुमारी सिनहा

निरालाजी ने इस पुस्तक के प्राक्कथन में लिखा है––"आधुनिक रचनाशैली की वे (सुमित्राकुमारी सिनहा) पहली महिला हैं। रूढ़ियों की पवित्रता की चारदीवारी के बाहर उनकी निगाह गई है। प्रचलित जीवन के चित्रण उनकी रचनाओं में बड़ी खूबी से आये हैं। वे समय के साथ हैं......जिससे समाज की सच्ची सूरत साहित्य में प्रतिफलित हुई है। यहाँ वे अपनी बहनों में अग्रगामी हैं.....पढ़ने पर एक प्रकार का नया साहस आता है। मूल्य केवल १|)

अचल सुहाग
लेखिका श्रीमती सुमित्राकुमारी सिनहा

जितने प्रेम से श्रीमती सुमित्राकुमारीजी सिनहा का काव्य-साहित्य पढ़ा जाता है, उतने ही प्रेम से उनका कथा-साहित्य भी। यदि आप भावों की प्रभावोत्पादकता, वर्णन-शैली की मनोरंजकता और अनुभव की सत्यता देखना चाहें तो इस कहानी-संग्रह को अवश्य पढ़ें। मूल्य १)

वनस्पतिशास्त्र (सचित्र)
लेखक––डा॰ महेशचरण सिनहा एम॰ एस-सी॰

इस विषय की यह पहली पुस्तक हिन्दी में है। इस विषय की जानकारी सभी किसानों, ज़मींदारों, तथा वैद्य, हकीमों के लिए आवश्यक है। इस शास्त्र के पढ़ने के लिए जितनी सुगमता हमारे देश में है, अन्य जगहों में नहीं, फिर भी अधिकतर लोग इससे अनभिज्ञ हैं। उन्हीं के लिए यह पुस्तक लिखी गई है। विद्यार्थियों के लिए भी यह बड़ी उपयोगी है। इस पुस्तक को लिखकर स्वर्गीय लेखक ने एक बड़ी कमी को पूरा किया है। चित्र-संख्या २३० मूल्य केवल ३॥) [ विज्ञापन ] 

वनस्पति क्रिया विज्ञान
लेखक—डा॰ महेशचरण सिनहा एम॰ एस-सी॰

इस पुस्तक में Plant Physiology के विषय को हिन्दी में बड़े ही सरल ढंग से समझाया गया है। यह पुस्तक कई जगह पाठ्य-पुस्तक है। विद्यार्थियों के लिए बड़ी उपयोगी है। मूल्य केवल १)

रसायनशास्त्र (सचित्र)
लेखक—डा॰ महेशचरण सिनहा एम॰ एस-सी॰

यह पुस्तक उन लोगों के लिए लिखी गई है, जो हिन्दी-भाषा द्वारा रसायनशास्त्र की बातें, नियम, सिद्धान्त और उनके प्रयोग तथा मूल तत्वों को जानने की आकांक्षा रखते हैं। इसको पढ़कर हिन्दी जाननेवाले बड़ी-से-बड़ी विज्ञान सम्बन्धी बातों का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इसमें रसायन के उन सिद्धान्तों का जो कि इस विद्या के बड़े-बड़े विषयों के मूलाधार हैं, पूर्ण रूप से समझाया गया है। यह पुस्तक विद्यार्थियों के लिए भी अति उपयोगी है। पृष्ठ ४३२, चित्र ६१, मूल्य केवल ३॥)

स्वतन्त्रता की कुञ्जी
लेखक—डा॰ महेशचरण सिनहा एम॰ एस-सी॰

इस पुस्तक में फूकीज़ावा के बताए उन समस्त साधनों का उल्लेख है, जिनके प्रयोग द्वारा जापान एक निर्बल एशियाई देश होते हुए एक महान् शक्ति बन गया। यदि आप भी अपने देश को शक्तिशाली तथा स्वाभिमानी बनाना चाहते हैं तो इस पुस्तक को अवश्य मँगाइये। मूल्य १॥)

हमारे अन्य प्रकाशन
डा॰ महेशचरण सिनहा एम॰ एस-सी॰ कृत

जार्ज वाशिगटन (जीवनी) मूल्य ।⇗)
विलियम वैलेस (जीवनी) मूल्य ।)
विन्कल रीड (जीवनी) मूल्य ⇗)