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भारतवर्ष का इतिहास/३१—मुग़ल वंश

विकिस्रोत से
भारतवर्ष का इतिहास
ई॰ मार्सडेन

कलकत्ता, बंबई, मद्रास, लंदन: मैकमिलन एंड कंपनी लिमिटेड, पृष्ठ १३५ से – १३६ तक

 

३१—मुग़ल वंश।

१—मुग़ल और मंगोल एक ही शब्द है।मुग़ल उस देश से आये थे जिसे मंगोलिया कहते हैं और जो मध्य एशिया में चीन और तुर्किस्तान के बीच में है। उस देश को तातार भी कहते हैं। जो लोग उस देश में बसे थे वह समय समय पर अनेक नामों से पुकारे जाते रहे; जैसे सिथियावाले, तूरानी, तातारी। पुराने यूनानी ऐतिहासिक इन को सिथियन लिखते हैं। ईरानी इस देश को तूरान कहते थे। इस कारण यहां के रहनेवालों को तूरानी भी कहते हैं।

२—तुर्किस्तान आर्यों का पुराना निवासस्थान था। समय बीतने पर कुछ मुग़ल या तातारी पहाड़ पार करके तुर्किस्तान में उतर आये और जो आर्य वहां रहते थे उन के साथ रहने सहने लगे। उन्हों ने आर्य स्त्रियों से ब्याह कर लिया। इन्हीं की बोली बोलने लगे और इन के सजातीय बन गये। उस समय में यह लोग तुर्क कहलाते थे; बन बन फिरनेवाले असभ्य तातारियों से भिन्न थे और उन को नीच जानते थे। तुर्क लम्बे और सुन्दर होते थे। कोई कोई लम्बी दाढ़ी रखते थे। तातारियों का डील छोटा नाक चिपटी रंग पीला और मुंह फैला होता था; मुंह पर बाल न होते थे। तातारी मैले थे और बनमानुसों से कुछ ही अच्छे हों तो हों। तुर्कों की भांति यह भी मुसलमान थे पर बहुतेरे तो नाम ही को। भारतवासी तातारी और तुर्क में भेद न जानते थे। मुग़ल वंश के बादशाहों को मुग़ल कहने का कारण यही है। यह लोग मंगोलिया के मुग़ल न थे। यह तुर्किस्तान के तुर्क थे और इन को तुरकी बादशाह कहना चाहिये।

३—भारत के मुसलमान बादशाहों में मुग़ल सब से ज़बरदस्त हुए। इस वंश के १५ बादशाह हुए। इन में आदि के ६ बहुत प्रसिद्ध हैं। पिछले ९ न ऐसे प्रसिद्ध थे और न उनके ऐसी शक्ति थी। पहिले ६ बादशाहों के नाम यह हैं; बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब।