भारतवर्ष का इतिहास/३०—दखिन की मुसलमानी रियासतें

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३०—दखिन की मुसलमानी रियासतें।
(सन् १५०० ई॰ से सन् १६५७ ई॰ तक)

१—बहमनी रियासत के बिगड़ने पर पांच रियासतें स्थापित हुई। बीच में बीदर, उत्तर में बरार और अहमदनगर, और दक्षिण में बीजापुर और गोलकुण्डा। बीजापुर, अहमदनगर और बरार तीनों मिलकर देवगिरि अथवा महाराष्ट्र की प्राचीन रियासत की स्थानापन्न थीं।

२—सन् १४८९ ई॰ में यूसुफ़ आदिलशाह ने दखिन के पश्चिमीय भाग महाराष्ट्र देश में बीजापुर की रियासत स्थापित की। यूसुफ़ मुराद सुलतान रूम का बेटा था। बाप की मृत्यु के पीछे यूसुफ के भाई ने उसको मरवा डालना चाहा किन्तु मांने उसके प्राण बचाने के लिये उसे फ़ारस भेज दिया। यूसुफ़ दासों की भांति बिका और बहमनी सुलतान के दर्बार में पहुंचा। यहां पर वह होते होते एक ऊंचे पद से दूसरे ऊंचे पद पर नियुक्त होगया यहां तक कि बीजापुर का हाकिम बना दिया गया। जब उसने देखा कि बीजापुर का बादशाह शक्तिहीन हो चला है तो वह स्वयं बीजापुर का बादशाह बन बैठा। अली आदिल शाह जिसने प्रसिद्ध मलका चांद बीबी से ब्याह किया था इसी वंश का था। चांद बीबी अहमदनगर के बादशाह निज़ाम शाह की बेटी थी। इसने राज काज में अपने पति की बड़ी सहायता की और घोड़े पर सवार होकर उसके साथ लड़ाई के मैदान में जाती थी। यह स्त्री खुले दर्बार में बैठ कर राज का काम देखती थी। औरङ्गजेब के राज के शिवाजी महाराष्ट्र देश के राजा हुए और बहुत सा इलाका बीजापुर का उन्होंने अपने राज्य में मिला लिया। [ १३३ ] सन् १६८६ ई॰ में औरङ्गजेब ने आप बीजापुर पर चड़ाई की और उसे जीत कर आदिलशाही वंश का नाश कर दिया।

३—अहमदनगर की रियासत का आरम्भ भी बीजापुर के साथ ही साथ १४८९ ई॰ में हुआ। इस रियासत की नीव निज़ाम शाह ने डाली थी। इसका बाप वास्तव में एक ब्राह्मण था और यह बचपन ही में दास होकर मुसलमान हो गया था। इसने अहमदनगर बसाया और सात बरस घेरे रहने के पीछे दौलताबाद को जीत लिया। १५९५ ई॰ में बादशाह अकबर के बेटे मुराद ने अहमदनगर को घेरा। उस समय अहमदनगर का कोई बादशाह न था। इस कारण अहमदनगर के लोगों ने चांद बीबी से जिसकी आयु अब पचास बरस की थी, प्रार्थना की कि आप इस राज्य का शासन अपने हाथों में लें। चांद बीबी अहमदनगर में आई और बीजापुर के बादशाह को उसने सहायता के लिये लिखा; अहमदनगर के कोट की मरम्मत की और सेना लेकर स्वयं शत्रु से लड़ने को तैयार हुई। मुग़लों ने सुरंग लगाकर क़िले की दीवार उड़ा दी और चाहा कि इस राह से अन्दर घुस जायं और क़िला ले लें परन्तु चांद बीबी सिर से पैर तक कवच पहिने, हाथ में तलवार लिये, द्वार पर उपस्थित थी और बैरी के जो सैनिक निकट आते थे उन्हें पीछे हटाती थी। अहमदनगर के लोगों को एक स्त्री का यह साहस और बीरता देखकर ऐसा जोश आया और मुग़लों की सेना पर ऐसे टूटे कि उसे पीछे हटना पड़ा चांद बीबी ने रातों रात वह सुरङ्ग भरवा दी। सवेरेही समाचार मिला कि बीजापुर का बादशाह सेना लिये उसकी सहायता को आता है। मुराद ने चांद बीबी से सन्धि कर ली और पास का इलाका लेकर अहमदनगर से हाथ खींच लिया। कुछ दिन पीछे एक नीच विद्रोही ने मल्का चांद बीबी को मार डाला। फिर अकबर बादशाह स्वयं [ १३४ ] दखिन गया और अहमदनगर का क़िला जीता पर उसकी पीठ फिरते ही मलिक अम्बर ने सारा देश मुग़लों के पंजे से छुड़ा कर अपने आधीन कर लिया। अन्त में शाहजहां के राज्य में मलिक अम्बर के बेटों ने यह देश मुग़लों के हवाले कर दिया।

४—गोलकुंडा रियासत की नीव कुतुबशाह नामी एक ईरानी ने सन् १५१० ई॰ में डाली थी। इसके उत्तराधिकारी महम्मद ने हैदराबाद नगर बसाया। सन् १६८५ ई॰ में औरङ्गजेब ने गोलकुंडा को घेर लिया। नगर निवासियों ने बड़ी बीरता के साथ उसका सामना किया पर अन्त में हार गये और यह कुल देश मुग़ल राज में मिल गया।

५—बीदर की रियासत क़ासिम बरीद की स्थापित की हुई थी। यह पहिले एक दास था फिर बढ़ते बढ़ते बहमनी सुलतान महमूद का मन्त्री हो गया था। इसने अपने स्वामी को क़द किया और स्वतन्त्र हो गया। इस वंश के सातवें बादशाह के समय में बीजापुर के सुलतान ने इसे जीत लिया। इसके पीछे १६८८ ई॰ में औरङ्गजेब ने बीदर का क़िला ले लिया।

६—बरार की रियासत सब से छोटी थी। इसकी नीव १४८४ ई॰ में इमादुल्मुल्क ने डाली थी। यह कनाड़ा का ब्राह्मण था और बहमनी सुलतान और विजयनगर के राजा की लड़ाई में कैद हो गया था। यह मुसलमान हो गया और बहुत ऊंचे पदों पर रहकर अन्त में बरार का हाकिम बनाया गया। फिर वहां का बादशाह बन गया। इसकी राजधानी एलिचपुर थी। बरार देश को सन् १५७२ ई॰ में अहमदनगर के बादशाह ने जीत लिया और फिर बुढ़ापे में बादशाह अकबर ने इसे जीता।

७—सन् १५६५ ई॰ में दखिन के चार मुसलमान बादशाहों ने बिजयनगर के राजा राजाराम पर जो बड़ा अत्याचारी और [ १३५ ] अभिमानी था चढ़ाई की। कृष्णा नदी के तट पर तालीकोट स्थान में बड़ा भारी युद्ध हुआ। लाखों मारे गये अन्त में मुसलमानों की जीत हुई। विजयनगर का सत्यनाश हो गया। कृष्णा नदी के दक्षिण जितने हिन्दू नायक और पालेकार विजयनगर की ओर से नियुक्ता थे सब अपने अपने इलाक़ों के राजा हो गये।


३१—मुग़ल वंश।

१—मुग़ल और मंगोल एक ही शब्द है।मुग़ल उस देश से आये थे जिसे मंगोलिया कहते हैं और जो मध्य एशिया में चीन और तुर्किस्तान के बीच में है। उस देश को तातार भी कहते हैं। जो लोग उस देश में बसे थे वह समय समय पर अनेक नामों से पुकारे जाते रहे; जैसे सिथियावाले, तूरानी, तातारी। पुराने यूनानी ऐतिहासिक इन को सिथियन लिखते हैं। ईरानी इस देश को तूरान कहते थे। इस कारण यहां के रहनेवालों को तूरानी भी कहते हैं।

२—तुर्किस्तान आर्यों का पुराना निवासस्थान था। समय बीतने पर कुछ मुग़ल या तातारी पहाड़ पार करके तुर्किस्तान में उतर आये और जो आर्य वहां रहते थे उन के साथ रहने सहने लगे। उन्हों ने आर्य स्त्रियों से ब्याह कर लिया। इन्हीं की बोली बोलने लगे और इन के सजातीय बन गये। उस समय में यह लोग तुर्क कहलाते थे; बन बन फिरनेवाले असभ्य तातारियों से भिन्न थे और उन को नीच जानते थे। तुर्क लम्बे और सुन्दर होते थे। कोई कोई लम्बी दाढ़ी रखते थे। तातारियों का डील छोटा नाक चिपटी रंग पीला और मुंह फैला होता था; मुंह पर बाल न होते थे। तातारी मैले थे और बनमानुसों से कुछ ही अच्छे हों तो